बीकानेर में आए किसी भी टूरिस्ट को सबसे ज्यादा पसंद आता है 16 वीं सदी में बना जूनागढ़ किला, जिसे कभी भी जीता नहीं जा सका। बाद में आए शासकों ने इसमें 37 नए महल, मंडप और मंदिर इस कुशलता से बनाए कि इन्हें पहले से मौजूद किले में आसानी से जोड़ा जा सके। इस किले के संग्रहालय में कई सदियों पुराने लघु चित्रों का कीमती संग्रह है। महाराजा गंगासिंह के लिए सर स्विंटन जैकब द्वारा लगभग 90 साल पहले डिजाइन किए गए लालगढ़ पैलेस का ज्यादातर हिस्सा अब एक लक्जरी होटल में तब्दील हो चुका है और इसमें यूरोपीय लक्जरी और ओरिएंटल कल्पना का दिलचस्प मेल है। गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय में हड़प्पा सभ्यता, गुप्त और कुषाण काल के शानदार नमूने रखे हैं।
बीकानेर में देखने लायक जगहें
जूनागढ़ किला – चिंतामणि दुर्ग
जूनागढ़ किला बीकानेर का एक बड़ा आकर्षण है। इसे महाराजा राय सिंह ने बनवाया था। इतिहास इस पूरे किले से बहुत गहरी जड़ों तक जुड़ा है इसलिए सैलानी इसकी ओर बहुत आकर्षित होते हैं। यह किला पूरी तरह से थार रेगिस्तान के लाल बलुआ पत्थरों से बना है। हालांकि इसके भीतर संगमरमर का काम किया गया है। इस किले में देखने लायक कई शानदार चीजे़ं हैं।
यहां राजा की समृद्ध विरासत के साथ उनकी कई हवेलियां और कई मंदिर भी हैं। यहां के कुछ महलों में गंगा महल, फूल महल, बादल महल आदि शामिल हैं। इस किले में एक संग्रहालय भी है जिसमें ऐतिहासिक महत्व के कपड़े, चित्र और हथियार भी हैं। यह संग्रहालय सैलानियों के लिए राजस्थान के खास आकर्षणों में से एक है। यहां आपको संस्कृत और फारसी में लिखी गई कई पांडुलिपियां भी मिल जाएंगी। इसलिए अगर आप इस ओर आएं तो इन अलग अलग महलों को जरुर देखें।
किला संग्रहालय पचीना म्यूजिम
जूनागढ़ किले के अंदर बना यह किला संग्रहालय बीकानेर और राजस्थान में सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। इस किला संग्रहालय में कुछ बहुत ही दुर्लभ चित्र, गहने, हथियार, पहले विश्व युद्ध के बाइप्लेन आदि हैैं।
किले के संग्रहालय में कई तरह की प्राचीन पांडुलिपियां, संधियां, सजावट का सामान, गहने, जार और कालीन, हथियार और शस्त्र प्रदर्शित हैं। जूनागढ़ किले की यात्रा, खासतौर पर यहां के संग्रहालय को देखना आपको इतिहास के गलियारों में ले जाता है। आरसी का काम, वास्तुकला की बारीकियां और संगमरमर के पैनल जूनागढ़ किले में और भी ग्लैमर जोड़ते हैं।
लालगढ़ पैलेस
लालगढ़ पैलेस बीकानेर और राजस्थान में सैलानियों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। इस महल का निर्माण महाराजा गंगा सिंह ने अपने पिता महाराजा लालसिंह की स्मृति में बनवाया था। यह एक तीन मंजिला भवन है जो पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थरों से बना है, जिससे यह पैलेस और आकर्षक लगता है। इसके शानदार खंबे इसे और भी सुंदर और मनमोहक बनाते हैं। भीतर के फर्श बहुधा संगमरमर के हैं।
इसकी मुगल, राजपूत और यूरोपीय शैली की वास्तुकला सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। महल काफी विशाल है तथा इसमें सौ से अधिक भव्य कमरे हैं। महल के अहाते में मनोहर उद्यान बने हैं, जिनमें कहीं सघन वृक्षों, कहीं लताओं और कहीं रंग-बिरंगे फूलों से भरी हुई हरियाली की घटा दर्शनीय है। इस महल में महाराजा लालसिंह की सुन्दर प्रस्तर-मूर्ति खड़ी है। महल के एक भाग में तरणताल है। इस महल के भीतर एक पुस्तकालय है जिसमें कई हस्तलिखित पुस्तकों का संग्रह है। इस महल के दीवारों पर सुंदर चित्रकारी है। आज के समय में यहां एक संग्रहालय, एक हेरिटेज होटल और एक लक्जरी होटल है। बीकानेर जाने पर लालगढ़ पैलेस देखने से चूकना नहीं चाहिए। नगर के बाहर की इमारतों में लालगढ़ महल बड़ा भव्य है।
लक्ष्मी निवास पैलेस
विश्व के विलक्षण महलों में शुमार, बीकानेर एवं राजस्थान की ही नहीं, समूचे भारत वर्ष की शान कहे जा सकने वाले विश्वविख्यात महल ‘लक्ष्मी निवास पैलेस’ अतीत से लेकर अब तक अजीमुस्सान शान के साथ खड़ा है। विश्व की अधिष्ठात्री मां लक्ष्मी के नाम पर निर्मित यह विलक्षण महल विश्वविख्यात महाराजा स्वर्गीय गंगासिंह जी ने अपनी दूरदर्शिता के साथ निर्मित करवाया था।
1902 में बनकर तैयार हुए इसमहल के आर्किटेक्ट ब्रिटिश इंजीनियर सर स्विंटन जैकब थे जिन्होंने इसे इंडो सेरेसिनिक स्टाइल में बनवाया। इसके निर्माण का नक्शा एवं निर्मित कलाकृतियों ने इसे नयनाभिराम इस कदर बनाया कि देखने वालों की आंखें ठहर जाए। भारतीय उप महाद्वीप में इस प्रकार का आलीशान महल अन्यत्र कहीं दिखना दुर्लभ है।
यह महल पूर्ववर्ती राजपूताना रियासत के गौरव के रूप में शान से शीश उठाए खड़ा है। विशाल दरबार हाल मध्य में स्थित किए इस महल में चारों तरफ विशाल कमरे हैं, जिनका सौन्दर्य देखते ही बनता है। कमरों को देखकर पुरुष एवं महिला कलाकारों की सभ्यता का प्रथम दृष्टया अहसास होता है। पत्थरों केनिस, पटिंग ग्रास आदि यहां के विशिष्ट आकर्षण हैं।
गजनेर पैलेस बीकानेर
गजनेर पैलेस बीकानेर के पास गजनेर में जंगल के अंदर झील के किनारे पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।यह महल राजा गंगा सिंह द्वारा लाल बलुआ पत्थर से बनवाया गया था।प्राचीन काल के दौरान,यह महल शिकार और बीकानेर के राजाओं के लिए लॉज के रूप देखा जाता था। खंभे,झरोखें,महल की स्क्रीन इस स्मारक का प्रमुख आकर्षण रहे हैं जिन पर जटिलता से नक्काशी का काम किया गया है।महल के बाहर पर्यटक प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं। पक्षियों में,काले हिरण चिंकारा, नीले बैल, नील गाय को यहाँ देखा जा सकता है।
बीकानेर के कोडमदेसर भैरू जी मंदिर
बीकानेर शहर से लगभग 24 किमी की दुरी पर स्थित है कोडमदेसर भैरू जी का भव्य मंदिर । राव बीका जी (1472-1504 ईस्वी के बीच बीकानेर के संस्थापक और शासक) ने कोडमदेसर भैरू मंदिर का निर्माण करवाया था, राव बीका जी का जन्म जोधपुर के शाही परिवार में हुआ था । उन्होंने बीकानेर राज्य की स्थापना के लिए 1465 ईस्वी में जोधपुर को छोड़ दिया ।
यह मंदिर पूरी तरह से खुला है । यह मंदिर सफेद संगमरमर द्वारा बना है । भैरुजी के मंदिर के पास ही एक पवित्र तालाब, कोडमदेसर स्तंभ और रियासत कालिन किला है । मंदिर के पास ही दो सतीमाता की देवलि और प्राचीन शिलालेख भी है । यहाँ प्रति वर्ष मेला का आयोजन भी होता है. मंदिर में पुरे साल भव्य पूजा, जागरण और महाप्रसादी, अभिषेक अनुष्ठान, श्रंगार आदि के कार्यक्रमों का आयोजन होता ही रहता है ।
ऊंट प्रजनन फार्म
ऊंट प्रजनन फार्म बीकानेर शहर के केंद्र से 8 किमी की दूरी पर स्थित है।सरकार द्वारा संचालित यह ऊंट प्रजनन फार्म एशिया का सबसे बड़ा ऊंट प्रजनन फार्म है।यह फार्म वर्ष 1984 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा स्थापित किया गया था जो कि प्रजनन और ऊंटों के प्रशिक्षण के लिए समर्पित है और 2000 एकड़ जमीन के में फैला हुआ है।
यहां एशिया में अपने आप में अनूठा उंट प्रजनन फार्म है, जिसका प्रबंधन भारत सरकार करती है। बीकानेर शहर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह फार्म सैलानियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। एशिया में अपने आप में एकमात्र इस फार्म में दुनिया में सबसे तेज चलने वाले उंट पैदा होते हैं।
लालेश्वर महादेव शिव बाड़ी मंदिर
शिव बाड़ी मंदिर राजस्थान के शहर बीकानेर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह बीकानेर शहर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और राजस्थान का टूर कर रहें हों तो यहां आना तो बनता है। स्थानीय लोग इसे करोड़पति लालेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं । बीकानेर के इस शिव बाड़ी मंदिर का निर्माण महाराजा डूंगर सिंह जी ने 19वीं सदी में करवाया था ।
लाल बलुआ पत्थरों से बना शिव बाड़ी मंदिर वास्तुकला का एक शानदार नमूना है । शिव बाड़ी मंदिर की मुख्य विशेषताएं इसके मंडप, गुंबद और खूबसूरत खंबे हैं । शिव बाड़ी मंदिर चारों ओर से बड़े बड़े पत्थरों वाली दीवार से घिरा हुआ है। जिससे इस मंदिर को अलग और शांत चरित्र मिलता है। शिव बाड़ी मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां भगवान शिव की संगमरमर से बनी प्रतिमा है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ रहने वाले पवित्र नंदी की भी कांस्य प्रतिमा है। यदि आप बीकानेर जाएं तो आप इस खूबसूरत और अद्भुत मंदिर को जरुर देखें।
गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय
गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय की स्थापना सन् 1937 में महाराजा गंगासिंह ने की थी। यह एक ऐसा संग्रहालय है जिसमें इतिहास, कलाकृति और यहां तक कि मूर्तियों का भी अद्भुत संग्रह है। यह लालगढ़ पैलेस में स्थित है।
इस संग्रहालय में कई हिस्से हैं और ये ऐतिहासिक महत्व और हाइरार्की के हिसाब से बंटे हैं। यहां आपको हड़प्पा काल की मूर्तियां, ब्रिटिश साम्राज्य के लिथो प्रिंट और कई सामान मिल जाएंगे। दुनिया के हर कोने से इस संग्रहालय को देखने सैलानी खिचे चले आते हैं। यह संग्रहालय शुक्रवार और सार्वजनिक छुट्टियां छोड़कर हर दिन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
सादुल संग्रहालय, लालगढ़ पैलेस
सादुल संग्रहालय बीकानेर के लालगढ़ पैलेस की पहली मंजिल पर स्थित है। यह संग्रहालय महामहिम डाॅ. कर्णिल सिंह से दान के रुप में मिला था। इस संग्रहालय की अध्यक्ष राजकुमारी राज्यश्री कुमारी हैं। यदि आप यह संग्रहालय देखने आएं तो आप यहां बड़ी संख्या में जाॅर्जियाई चित्र, दुर्लभ कलाकृतियां और शिकार ट्राॅफियां पाएंगे। यहां के 20 से ज्यादा कमरों में आदमकद चित्र और तस्वीरें रखी हैं।
वास्तव में बीकानेर का शाही परिवार अब भी महल के एक हिस्से में रहता है। यह भी एक कारण है कि लाखों लोग इस जगह की ओर आकर्षित होते हैं। सादुल संग्रहालय देखने का सामान्य शुल्क 10 रुपये है। यह संग्रहालय बीकानेर के तीन राजाओं और कलाकृतियों को लेकर उनके जुनून को समर्पित है।
गजनेर वन्यजीव अभयारण्य
बीकानेर का गजनेर वन्यजीव अभयारण्य बीकानेर शहर से 32 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह का ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा है। पहले के दौर में बीकानेर का गजनेर वन्यजीव अभयारण्य शिकार के लिए बीकानेर के महाराज की पसंदीदा जगह था। इसी जगह महाराज ने कई सारे जंगली जानवरों का शिकार किया। बीकानेर का गजनेर वन्यजीव अभयारण्य अब जंगली जानवरों के संरक्षण के लिए इस्तेमाल होता है।
करणी माता देशनोक मंदिर
देशनोक मंदिर बीकानेर से 32 किलोमीटर दूर देशनोक गांव में स्थित है। इस मंदिर को कर्णी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर से बहुत से मिथक और इतिहास जुड़ा है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है जिन्हें मां दुर्गा का अवतार माना जाता है।
इस पूरे मंदिर की शैली बहुत अनूठी है और उच्च धार्मिक विश्वास और मान्यताओं को दिखाती है। इस मंदिर में चूहों को बहुत पवित्र माना जाता है और मंदिर में इनके आसानी से आने जाने के लिए खास छेद भी बनाए गए हैं। यहां के स्थानीय लोगों में और सैलानियों में मंदिर को बहुत पवित्र माना जाता है।
नगर सेठ लक्ष्मी नाथ मंदिर
लक्ष्मी नाथ मंदिर बीकानेर का सबसे पुराना मंदिर है। यह 1488 ईस्वी में पाया गया था। इसे एक ऐतिहासिक स्मारक माना जाता है और इसमें कई ऐतिहासिक विशेषताएं हैं। इस मंदिर में सबसे उम्दा वास्तुकला है और यह उन दिनों के कारीगरों के कौशल को दिखाती है।
इस मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा होती है। दुनिया भर में इनके असंख्य भक्त हैं। इस मंदिर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण बीकानेर आने वाले लोग इस मंदिर में आने का मौका नहीं चूकते हैं।
बीकानेर हृदय स्थल कोटगेट
कोट गेट सैलानियों के लिए बीकानेर में एक दिलचस्प जगह है। यहां का स्थानीय बाजार बहुत बड़ा आकर्षण है और खरीददारी के लिए स्वर्ग माना जाता है। इस बाजार में कई अद्भुत कलाकृतियों के अलावा स्थानीय भोजन के कई विकल्प भी मौजूद हैं। इसके अलावा इतिहास का एक हिस्सा होने के कारण यहां कई हस्तशिल्प और दूसरी कलाओं के सामान भी हैं।
यहां सैलानियों को उंट की खाल से बना सामान, लघु चित्र, लकड़ी की नक्काशी, खादी का सामान और लज्ज़तदार व्यंजन भी मिल जाएंगे। इसलिए अगर आप यहां आएं तो खरीददारी के अनूठे अनुभव के लिए इस शानदार जगह पर आना ना भूलें।
भंडासर जैन मंदिर
भंडासर जैन मंदिर एक अमीर व्यापारी भांडा शाह ने बनवाया था और यह मंदिर छठें जैन भगवान को समर्पित है। यहां का शानदार निर्माण सबसे पहले अपनी ओर ध्यान खींचता है। यह माना जाता है कि इस मंदिर को गारे के बजाय घी के 40 बैरल से बनाया गया था।
यह मंदिर बीकानेर के सबसे पुराने मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास स्थित है। यह पूरा मंदिर तीन मंजिलों में बंटा है और लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का बना है। इस मंदिर के भीतर की सजावट बहुत सुंदर है इसमें आरसी का शानदार काम किया गया है। इस मंदिर के अंदर के भित्ति चित्र और मूर्तियां भी बहुत दिलचस्प हैं। इस मंदिर को देखना आपके लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा।
बीकाजी की टेकरी
बीकानेर की ऐतिहासिक धरोहर राव बीकाजी की टेकरी बीकानेर में प्रसिद लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर के पास उच्चे टिले पर राव बीका जी द्वारा बीकानेर की स्थापना से तीन वर्ष बनाया गया पुराना किला है ।
शहर में दक्षिण पश्चिम में स्थित एक पवित्र स्थान है यहा पर राव बीकाजी .नारूजी, राव लुणकरण व राव जैतसिह जी की छतरिया है । चार दिवारी घिरा यह स्मारक 16 वी शताब्दि का है।
हवेलियों का शहर बीकानेर – जैन रामपुरिया हवेली
रेत के टीलों का शहर बीकानेर, दूर तक फैला रेगिस्तान, शानदार महल और सुंदर हवेलियां राजस्थान के गौरव का प्रतीक हैं। इस शहर में देश की कुछ सबसे शानदार हवेलियां मौजूद हैं। संकरी गलियों में बड़े से आंगन से घिरा और लाल बलुआ पत्थरों से बना एक महलनुमा घर यानि हवेली किसी को भी राजा रानी के इतिहास की ओर खींच ले जाती है।
18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध एवं उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में बनी इन रामपुरिया की तीन-चार मंजिली हवेलिया में लाल पत्थर का प्रयोग बहुतायत से किया गया है । सिद्धहस्त बीकानेर के सिलावट व उस्ता कलाकारों की पत्थरों पर विविष सूक्ष्म रूपांकन उत्कीर्ण में कीर्तिमुख, घट पल्लव, लहरपल्लरी, इन तीनों परंपराओं का अत्यंत प्रभावशाली ढंग से किया गया है । बेजोड़ कारीगरी एवं लाल पत्थर की बारीक खुदाई से युक्त रामपुरिया हवेलियां के कारण इसे हवेलियों का नगर भी कहा जाता है ।