जन जन में उल्लास सुगन्धित घर घर में उजियारा है,
आते है घनश्याम बिरज में धुंधलाता अँधियारा है।
कंस की महिमा घटती जाये चले न कोई चारा है,
आते है घनश्याम बिरज में धुंधलाता अँधियारा है।
सारे प्रहरी सोएं गे और जेल का फाटक टूटे गा,
लेते हैं अवतार कन्हैया घड़ा पाप का फूटे गा,
चरण गोपाल के छूने को जमुना की चंचल धारा है।
आते हैं घनश्याम बिरज में धुंधलाता अंधियारा है।
नन्द यशोदा के घर में आते जग के पालनहारा,
कष्ट निवारण की महिमा से कोई ना हो गा दुखियारा,
मधुबन वृन्दाबन गोवर्धन गाते मेरा सहारा है।
आते हैं घनश्याम बिरज में धुंधलाता अँधियारा है।
दुष्ट ना कोई अब धरती पर अपना राज जमायेगा,
चमत्कार मोहन का होगा सीधे नरक में जाएगा,
चक्र सुदर्शन आतंकी की मौत का बस हरकारा है।
आते हैं घनश्याम बिरज में धुंधलाता अँधियारा है।
अमृत वर्षा होती देखो गाँव गाँव और नगर नगर,
बृक्ष लताएं फूल बिछाते गली गली और डगर डगर,
मंगल गीत सुनाता जाये दसों दिशा बंजारा है।
आते हैं घनश्याम बिरज में धुंधलाता अँधियारा है।