NCLT ने MCA को IL&FS के टेकओवर की मंजूरी मिल गयी है, कंपनी का रिमोट सरकार के हाथ में

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संकट का सामना कर रही इंफ्रास्ट्रकचर डेवलपमेंट और फाइनेंस कंपनी आईएलएंडएफएस का नियंत्रण सरकार अपने हाथों में ले सकती है। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक सरकार ने इस कंपनी के प्रबंधन में बदलाव को लेकर नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया है।

 

 

गौरतलब है कि आईएलएंडएफएस की सहायक कंपनियों के डिफॉल्ट के बाद वित्तीय बाजार में नकदी संकट की आशंका बढ़ गई है, जिसे दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार फैसले ले रहा है। आरबीआई ने इससे पहले जहां बैंकों को राहत देते हुए एलसीआर में कटौती की थी, वहीं अब वह अक्टूबर में खुले बाजार से करीब 360 अरब रुपये का बॉन्ड खरीदने जा रहा है।

 

 

अब IL&FS को सरकार चलाएगी। NCLT ने MCA को IL&FS के टेकओवर की मंजूरी दे दी है। नए बोर्ड को 8 अक्टूबर से पहले बोर्ड बैठक करनी होगी। उदय कोटक 6 सदस्यों के बोर्ड के प्रमुख होंगे। मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी। सरकार का कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने IL&FS के खिलाफ NCLT में अर्जी दी थी।

 

 

बोर्ड में कोटक महिंद्रा बैंक के चेयरमैन उदय कोटक, पूर्व IAS ऑफिसर विनीत नैय्यर, पूर्व सेबी प्रमुख जीएन बाजपेयी, ICICI बैंक के पूर्व चेयरमैन जीसी चतुर्वेदी और पूर्व IAS ऑफिसर मालिनी शंकर और नंद किशोर होंगे। सिर्फ IL&FS पर 16,500 करोड़ रुपए का कर्ज है। उसकी सभी कंपनियों को मिलाकर कुल 91 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। बैंक और इंश्योरेंस कंपनियों का इसमें बड़ा हिस्सा है।

 

 

नए बोर्ड में उदय कोटक, विनीत नैय्यर, जीएन वाजपेयी, जीसी चतुर्वेदी, मालिनी शंकर और नंदकिशोर शामिल होंगे। इन्हीं में कोई एक चेयरमैन चुना जाएगा। सरकार ने अपने प्रस्ताव में इनके नाम दिए।

 

उदय कोटक नए बोर्ड के चेयरमैन हो सकते हैं। वो कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी हैं। नैय्यर पूर्व आईएएस अफसर हैं। वाजपेयी पूर्व सेबी प्रमुख, चतुर्वेदी आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन, मालिनी शंकर और नंद किशोर पूर्व आईएएस हैं।

 

नए बोर्ड की बैठक आठ अक्टूबर से पहले होगी। एनसीएलटी 31 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा। सरकार ने ट्रिब्यूनल से कहा था कि अगर आईएल एंड एफएस डूबती है तो कई म्युचुअल फंड भी डूब जाएंगे।

 

इंफ्रास्ट्रकचर डेवलपमेंट और फाइनेंस से जुड़ा ग्रुप आईएल एंड एफएस नकदी संकट से जूझ रहा है। समूह और उसकी कंपनियों पर 91,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। पिछले महीने इन कंपनियों ने कई बार लोन पेमेंट में डिफॉल्ट किया।

 

सरकार का कहना है कि आईएल एंड एफएस के मौजूदा डायरेक्टर अपने कर्तव्यों में विफल रहे। बताया जा रहा है कि कंपनी के निवेशकों ने मौजूदा प्रबंधन के रहते नया निवेश करने से इनकार कर दिया। एलआईसी सबसे बड़ा शेयरधारक है।

 

साल 2009 के बाद पहली बार सरकार इस तरह किसी कंपनी को बचाने के लिए आगे आई। उस वक्त सरकार ने सत्यम और उसकी सब्सिडियरी कंपनियों का कंट्रोल अपने हाथ में लिया था। सत्यम में 7,800 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था।