हम को सूरत से ही सीरत की झलक मिलती है,
लाख परदे में छिपे चेहरा, महक मिलती है।
कभी भूले से जो आ जाते दरीचे के करीब,
डूबते चाँद को सूरज की चमक मिलती हैं।
मेरे महबूब मुझे अपनी अदाएं न दिखा,
सांस रुक जाती है क़दमों को बहक मिलती है।
इश्क़ वह इश्क़ कहाँ जिस में न रुस्वाई मिले,
हर जगह तानों की तिशनों की झमक मिलती है।
मयकदे जा के सुकूं ढूंढ लिया करता है,
जिस को ख़ुद्दारी की थोड़ी सी भनक मिलती है।
बारिशें आती हैं आ कर के चली जाती हैं,
आँहें भरते हुए छप्पर में हनक मिलती है।