#MeToo आरोपों में घिरे एमजे अकबर ने अपने पद से दिया इस्तीफा, किया मानहानि का मुकदमा

Mj Akbar

नई दिल्ली :- #MeToo के आरोपों के चलते विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मी टू के तहत एम जे अकबर पर 16 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे, जबकि 20 महिलाएं इन आरोपों के समर्थन में आईं हैं। पिछले रविवार को विदेश दौरे से लौटने के बाद अकबर ने न सिर्फ इस्तीफा देने से इनकार किया था बल्कि अपने उपर लगे सारे आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया था। अब तक इस्तीफे से बचते रहे एम जे अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था |

 

 

पत्रकारिता से सियासत में आए विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर #MeToo अभियान के तहत 16 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था | अकबर पर जब पहला आरोप लगा था तब वे अफ्रीका के दौरे पर थे और ऐसे में माना जा रहा था कि उन्हें विदेश से लौटने के बाद इस्तीफा देना पड़ सकता है |

 

 

देश के दिग्गज और मशहूर अंग्रेजी पत्रकार एमजे अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्यमंत्री थे. #MeToo मामले में एक के बाद एक महिला पत्रकार उन पर यौन शोषण का आरोप लगा रही थीं | ऐसे में मोदी सरकार और एम जे अकबर पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा था |

 

 

सरकार का मानना है कि कमेटी बनाकर आरोपों की जांच करने और नए सुझाव देने की जगह पहले मंत्रियों का समूह उसपर गंभीरता से विचार करे, इसके पहले महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने #MeToo अभियान में सामने आये यौन उत्पीड़न के आरोपों और मुद्दों को देखने के लिए शुक्रवार को रिटायर्ड जज की अगुवाई में विधि विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाने का ऐलान किया था |

 

 

मालूम हो कि #MeToo कैंपेन के तहत केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर कई लड़कियों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, मी टू अभियान के जोर पकड़ने के साथ अखबार में काम कर चुकीं 19 महिला पत्रकार अपनी सहकर्मी प्रिया रमानी के समर्थन में आईं जिन्होंने केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है, इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें सुना जाए |

 

 

उन्होंने दावा किया कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया तथा अन्य इसकी गवाह हैं | महिला पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा, ‘रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है, हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर तथा अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह थीं |’

 

 

एमजे अकबर के खिलाफ बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं |

 

 

अकबर जाने-माने संपादक रह चुके हैं. देश के कई अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ, डेक्कन क्रॉनिकल से लेकर द एशियन एज सहित कई बड़े अखबारों के संपादक रहे हैं. उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जीवनी पर आधारित ‘द मेकिंग ऑफ इंडिया’ और कश्मीर पर आधारित ‘द सीज विदिन’ चर्चित किताबें लिखीं. इसके अलावा ‘द शेड ऑफ शोर्ड’, ‘ए कोहेसिव हिस्टरी ऑफ जिहाद’ और ‘ब्लड ब्रदर्स’ के भी लेखक रह चुके है |

 

 

एमजे अकबर को सियासत में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी लाए, इंदिरा गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो एमजे अकबर के साथ उनके रिश्ते गहरे बने, इसी के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया |