13 दिसंबर, 2001 को पांच बंदूकधारियों ने संसद परिसर पर हमला कर वहां अंधाधुंध गोलियां बरसायीं थीं। उस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मियों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला अधिकारी, संसद भवन के दो वॉच और वार्ड कर्मचारी, एक माली और एक कैमरामैन की मौत हो गई थी।
संसद पर 13 दिसंबर 2001 में हुए आतंकी हमले की बरसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार को यह पहला मौका था, जब पीएम और कांग्रेस अध्यक्ष एक दूसरे के आमना सामना हुआ, लेकिन किसी ने एक-दूसरे से बात नहीं की। कांग्रेस ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की है।
आप को बता दे की, 17 साल पहले 13 दिसंबर 2001, यह वह तारीख है, जिसे भुलाना भारतीयों के लिए आसान नहीं होगा | इसी दिन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने आज ही के दिन लोकतंत्र के मंदिर पर हमला किया था। दहशत के वह 45 मिनट के गुरुवार को 17 साल हो गये. सफेद रंग की एंबसेडर कार से आये आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर पूरे संसद भवन को हिला कर रख दिया था | आतंकियों का प्लान तो संसद भवन को विस्फोटकों से उड़ाने का था लेकिन सुरक्षाकर्मियों के अदम्य साहस और वीरता के आगे उनके नापाक इरादे ध्वस्त हो गए।
आधे घंटे तक चले मुठभेड़ के बाद सभी 5 आतंकी मार गिराए गए। इस हमले में दिल्ली पुलिस के 6 जवान और संसद के 2 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। एक माली की भी मौत हुई थी। संसद पर हमले की घिनौनी साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया। संसद के हमले के मास्टर माइंड मोहम्मद अफजल ने एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि हमले के पांचों आतंकवादी पाकिस्तानी थे। इनका मकसद राजनेताओं को खत्म करना था।
उसने यह भी स्वीकार किया कि उसने आतंकियों की मदद की थी और वह अफजल गुरु गाजी बाबा के संपर्क में था। खुद अफजल गुरु ने पाकिस्तान में ढ़ाई महीने की आतंकी ट्रेनिंग ली थी। साजिश रचने के आरोप में पहले दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा साल 2002 में और फिर उच्चतम न्यायालय द्वारा 2006 में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी। उच्चतम न्यायालय द्वारा भी फांसी सुनाए जाने के बाद गुरु ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी, जिसको तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने खारिज कर दिया था। 9 फरवरी 2013 को सुबह दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शाहीद हो गये थे, जबकि 16 अन्य जवान घायल हो गये थे. इस हमले के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर का हाथ था. हमले में चार आतंकी मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफसान और प्रो सैयद अब्दुल रहमान गिलानी शामिल थे |
हमले के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. संसद भवन के अंदर सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और क्यूआरटी को तैनात किया गया है | मुख्य जगहों पर अतिरिक्त स्नाइपर भी तैनात किये गये हैं | इसके साथ न दिखने वाला सुरक्षा कवर भी बढ़ा दिया गया है | किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए आतंक निरोधी दस्ते लगातार औचक निरीक्षण कर रहे हैं | बता दें कई तरह के उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे बुम बैरियर्स और टायर बस्टर्स लगाने में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये गये |