मेरे महबूब मेरे दिल को मोहब्बत दे दो,
ग़ैरमुमकिन हो तो नफ़रत ज़दा उल्फ़त दे दो।
दिल की धड़कन सदा आँखों में चली आती है,
दिल में ही ठहरी रहे कोई तो हिकमत दे दो।
सादी तसवीरों का अक्कास बना फिरता हूँ,
इश्क़ में डूबे हुए रंग की न्यमत दे दो।
मानता हूँ की नहीं मुझ में ज़रा सी ग़ैरत,
मुंह दिखाने के लिए थोड़ी सी इज़्ज़त दे दो।
साहबे नक़्स भी हर वक़्त दुआ करते हैं,
तू है रहमान बड़ा हम को भी रहमत दे दो।
सूने आँगन में चले आओ लगाओ मजमा,
धोखा दे दे के हसीं दुनियां को हैरत दे दो।
इस तरह याद न कर नींद उचट जाती है,
सब से बेज़ार हूँ अब सोने की मोहलत दे दो।
क़ब्र की गोद में हूँ फिर भी तमन्ना देखो,
काश आ जाओ मुझे प्यार की दौलत दे दो।