रिपोर्ट :- रीडर टाइम्स
उत्तर प्रदेश में जहाँ एक ओर सरकार अपने विकास कार्य की बिगुल बजाने में लगे हुए हैं, वहीँ दूसरी ओर प्रदेश में घट रही घटनाओं कुछ और ही इशारा कर रही है. हाल ही में केजीएमयू में लगी आग ने सिस्टम की ओर एक बार फिर सवालिए निशान उठा दिया है. इस हादसे में कई लोगों की जान जा चुकी है । ट्रामा सेण्टर में आग लगते ही अफरा-तफरी का माहौल छा गया था और बाहर की सड़क मरीज़ों के स्ट्रेचरों से भर गयी थी. ट्रामा सेण्टर के भीतर काफी खून बिखरा था, तो कहीं दवाइयां, कहीं दस्तावेज़ जले हुए थे , मरीज़ों के कागज़ और इलाज़ का सामान पानी से पूरी तरफ भीग चुका था.
अब सवाल यह उठता है की आखिर इतनी बड़ी घटना से निपटने के लिए केजीएमयू प्रशासन की यही तैयारियां थी, जिसके चलते कितने परिवारों को इतनी बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ी.
17 / 07 /2017 को रीडर टाइम्स की टीम ने कई सरकारी स्वास्थ महकमे की इमारतों का मुआयना किया जिसमें कैसरबाग़ स्थित रेड क्रॉस कंपाउंड में एक बिल्डिंग जो कि स्वास्थ विभाग के अंतर्गत आती है ,में 5 में से 4 फायर सिलेंडर खाली पाए गए , जो आगे भी किसी बड़ी घटना घटने की ओर साफ़ संकेत दे रहे हैं. इसी बिल्डिंग में तीसरे माले पर स्थित ड्रग ऑफिस में ड्रग इंस्पेक्टर से इस सन्दर्भ में पूछा गया तो उन्होंने अनभिग्यता जताते हुए मामले को तुरंत दिखवाने की बात कही ।
“जब इसी विषय में लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कैप्टन जी एस बाजपाई से बात की गयी तो उन्होंने रीडर टाइम्स की इस रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए तत्काल कार्यवाही करी जिसके अंतर्गत सभी शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी चिकित्सालयों एवं भवनों में आग बुझाने के सभी उपकरणों की जांच कराके और ख़राब उपकरण दुरुस्त कर 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में जमा करने के निर्देश दिए, साथ ही इन्ही सभी जगहों पर फायर फाइटर दस्ते द्वारा मॉक ड्रिल किये जाने और उसकी रिपोर्ट 1 सप्ताह के भीतर सीएमओ कार्यालय में जमा कराने के कड़े निर्देश जारी किये”.
स्वास्थ विभाग ने तो तत्परता से इस गंभीर विषय में रिपोर्ट के आधार पर कदम उठा लिए, पर सरकार के अंतर्गत सैकड़ों विभाग आते हैं और उनमें बहुत से कार्यालय ऐसे हैं जहाँ लापरवाही सालों से सर चढ़ के बोल रही है अब देखना यह है कि सरकार कब इन विभागों को इस समस्या पर कड़ाई से कदम उठाने के लिए ताकीद करती है.