Home अद्धयात्म अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन से जुड़ी नौ बातें जानिए
अष्टमी और नवमी में कन्या पूजन से जुड़ी नौ बातें जानिए
Oct 04, 2019
साल में होने वाले दोनों नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन की परंपरा निभाई जाती है। इस बार 6 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी और 7 अक्टूबर नवमी है। कन्या पूजन को कंजक भी कहा जाता है।
नवरात्रि में छोटी बच्चियों को देवी का स्वरूप मानते हुए उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी स्वरूप इन नौ कन्याओं के आशीर्वाद मां दुर्गा की कृपा लेकर आता है। ऐसे में नवरात्रि का व्रत रखने वाला हर साधक अष्टमी या नवमी के दिन कन्या का पूजन अवश्य करता है।
कन्या पूजन यदि पूरे विधि-विधान से किया जाए तो माता का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है, लेकिन कई बार जाने-अनजाने लोग इसमें कुछ गलतियां भी कर देते हैं। ऐसे में माता की कृपा साधक पर नहीं होती है। चूंकि कन्या पूजन के बिना नवरात्रि पूजा के फल की प्राप्ति नहीं होती है, इसलिए आइए जानते हैं कन्या पूजन की सही विधि —
1- अष्टमी के दिन कन्या पूजन के लिए प्रात:काल स्नान-ध्यान कर भगवान गणेश और मां महागौरी की पूजा करें।
2- देवी स्वरुपा नौ कन्याओं को घर में सादर आमंत्रित करें और उन्हें ससम्मान आसन पर बिठाएं।
3- सबसे पहले शुद्ध जल से कन्या के पैर धोएं। ऐसा करने से व्यक्ति के पापों का शमन होता है।
4- पैर धोने के पश्चात कन्याओं को तिलक लगाकर पंक्तिबद्ध बैठाएं।
5- कन्याओं के हाथ में रक्षासूत्र बांधें और उनके चरणों में पुष्प चढ़ाए।
6 -इसके बाद नई थाली में कन्याओं को पूड़ी, हलवा, चना आदि श्रद्धा पूर्वक परोसें।
7- भोजन में कन्याओं को मिष्ठान और प्रसाद देकर अपनी क्षमता के अनुसार द्रव्य, वस्त्र आदि का दान करें।
8- कन्याओं के भोजन के उपरांत उन्हें देवी का स्वरूप मानते हुए उनकी आरती करें और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
9-अंत में इन सभी कन्याओं को सादर दरवाजे तक और संभव हो तो उनके घर तक जाकर विदा करना न भूलें।