रिपोर्ट :- अभिषेक त्रिपाठी ,रीडर टाइम्स
वाराणसी :- उक्त रहस्योद्घाटन कशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के द्रव्यगुण विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जे .के .ओझा ने अपने एक शोध प्रबंध में किया है मधुमेह रोग में होने वाले वाद व्रण एवं गैंगरीन पर आयुर्वेद की ” मंजिष्ठा ” नामक प्रसिद्ध औषधिके बारे में विशेष अनुसन्धान करने वाले प्रो . ओझा ने एक भेंट में कहा की मधुमेह के घाव से व्यक्ति के शरीर में रक्त का संवहन कम हो जाता है .
समुन्द्र तल से पांच से 10 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर हिमालय की दुर्गम घाटियों में पाई जाने वाली मंजिष्ठा की लता मधुमेह ( डायबिटीज़ ) के रोगियों के लिए मंजिष्ठा की लता मधुमेह के लिए रामबाण साबित हो रही है. मधुमेह रोगियों के पैर में अल्सर हो जाता है यह घाव जब काफी पुराना हो जाता है तो रोगियों के पैर काटने की भी नौबत आ जाती है आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मधुमेह का इलाज संभव तो है किन्तु यह पद्धति काफी महंगी एवं जटिल होती है जिससे सामान्य वर्ग के रोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है जबकि ” मंजिष्ठा ” से बनाये गए क्वाथ ( काढ़ा ) में व्रण (घाव ) को धोने से उसकी दुर्गन्ध एवं उसमे पड़े कीड़े नष्ट हो जाते है .
इस काढ़ा में घाव को डुबो देने से कीड़े पानी ने उतर जाते है आधुनिक चिकित्सा पद्धति से मधुमेह के घाव के कीड़े नहीं निकाले जा सकते मंजिष्ठा से बनायीं औषधि के तीन महीने के प्रयोग से मधुमेह रोग को काफी नियमित कर लिया गया है .
इसके साथ ही इस औषधि के प्रयोग से 90 फीसदी रोगियों का पैर काटने से बचा लिया गया है श्री ओझा के अनुसार मंजिष्ठा नामक औषधि का प्रयोग ऐसे रोगियों में भी किया गया है जिसमे रक्त के प्लेटटोर की संरचना काफी कम हो जाती है तथा रोगी की मृत्यु हो जाती है.
इस लता से तैयार औषधि मधुमेह रोग में होने वाले गैंगरीन तथा अल्सर में काफी उपयोगी सिद्ध हुई है चिकित्साविदों ने इस औषधि के प्रयोग से मधुमेह रोगियों के 2 साल पुराने घाव को भी चंद हफ्तों में ठीक करने का दावा किया है. किन्तु मंजिष्ठा की लता से तैयार औषधि व्यक्ति की धमनियों में रक्त संवहन को तेज कर मधुमेह के घाव को सुखाती है क्योकि मंजिष्ठा में रक्त शोधक ,रक्त वर्धक तथा व्रण (घाव ) रोधक क्षमता होती है .प्रो .ओझा ने अपने शोध कार्यो का हवाला देते हुए बताया कि मंजिष्ठा लता कि जड़ या डंठल से चर्म रोगो का भी निदान संभव है .