रीटा डेस्क :- न्याय की चाह में योगी के दरबार में पहुंचे लोगो को मिलती है सिर्फ निराशा
1 .उन्नाव की एक गैंगरेप पीड़िता सीएम से मिलने के लिए लखनऊ पहुंची लेकिन सीएम आवास के बाहर उसने खुद को आग लगाने का प्रयास किया. उसके पिता की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई . गैंगरेप का आरोप एक बीजेपी विधायक पर हैं . तो ऐसे में सवाल सरकार पर उठने भी लाजिमी हैं. आरोप है कि विधायक के भाई ने पीड़िता के पिता को बुरी तरह पीटा था और केस वापस लेने का दवाब बनाया था. बुरी तरह घायल होने के बाद भी पुलिस ने पीड़ित पर ही मुकदमा लिख कर जेल भेज दिया था. विधायक कुलदीप सेंगर ने तो गैंगरेप के आरोपों को साजिश करार दे दिया है.पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि विधायक ने सभी आरोपों को साजिश करार दिया और जांच की मांग की. आपको बता दें कि गैंगरेप पीड़िता ने सीएम आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया था. आरोप ये भी था कि विधायक के भाई ने पीड़िता के पिता को बुरी तरह पीटा था जिसकी वजह से उनकी जेल में मौत हो गई थी. पीड़िता के मुताबिक विधायक का भाई उनके पिता पर केस वापस लेने का दबाव बना रहा था.
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सीएम योगी ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। एडीजी लखनऊ को इस मामले की पूरी जांच करने के लिए कहा गया है। मामले में जो भी दोषों होंगे उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि बीजेपी विधायक सेंगर पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की के पिता को रविवार रात को जेल में पेट दर्द के साथ खून की उल्टियां शुरू हुई थीं. उसके बाद उन्हें तुरंत जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. मगर तड़के लगभग तीन बजे उसकी मौत हो गयी. उसकी उम्र करीब 50 वर्ष थी. लड़की माखी थाना क्षेत्र की रहने वाली है. इस घटना के बाद अब शासन-प्रशासन में हड़कम्प मच गया है.घटना पिछले साल जून की है. पुलिस परअक्सर ऐसे गंभीर आरोप लगते रहते है कि पुलिस लोगो के साथ न्याय करने के बजाय अन्याय करती है और इस मामले में तो पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई है . जब यह मामला मीडिया के सामने आया और चारो तरफ जब पुलिस की थू- थू होनी शुरू हुई तब पुलिस ने कार्यवाही की . अगर यही कदम पुलिस पहले उठा लेती तो शायद पीड़िता के पिता की मौत न होती .
2 . सीएम ने गोरखपुर में जनता दरबार लगाया लेकिन वहां भी बाहर एक युवक रोता दिखाई दिया. उसने मीडिया को बताया कि योगी ने ना केवल उसकी फाइल फेंक दी बल्कि उसे भी बाहर निकलवा दिया. आयुष सिंघल नाम के इस युवक का आरोप है कि अमनमणि त्रिपाठी ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया है और कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हालांकि मीडिया में मामला आने के बाद तमाम अधिकारी सामने आए और युवक के आरोपों को बेबुनियाद बताया.
3 . इससे पहले भी 3 अप्रैल को एक ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें गैंगरेप पीड़ित विवाहिता सीएम से मिलने उनके आवास पर पहुंची थी. मुलाकात नहीं हुई तो पीड़िता ने खुद को आग लगा ली. 45 प्रतिशत जली हुई स्थिति में उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया. पीड़िता ने बताया कि 2017 में उसके साथ गैंगरेप किया गया था, उसने पुलिस में शिकायत की तो मामला छेड़छाड़ में दर्ज किया गया. उसने पुलिस अधिकारियों की चौखट पर एडियां घिसीं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. आखिरकार इंसाफ का आस लेकर वह योगी के दरबार में आई लेकिन यहां भी उसे निराशा ही मिली. आखिरकार उसने खुद को आग लगा ली.
4 . अमेठी के रहने वाले राहुल चौरसिया की फसल खराब हो गई थी. उसने भी मदद पाने के लिए बहुत कोशिशें कीं. सिस्टम के दरवाजे पर खड़े पहरेदार कभी घूस मांगते तो कभी इंतजार कराते. थक कर वह भी लखनऊ पहुंचा. उम्मीद थी कि सीएम से मुलाकात हो जाएगी तो अपना दर्द जाहिर कर पाएगा. लेकिन बहुत कोशिशों के बाद भी सीएम से मुलाकात नहीं हो पाई.
सवाल ये है कि सिस्टम से परेशान लोग जाएं तो जाएं कहां ? सूबे की जनता को उम्मीद थी कि शायद भगवा पहनने वाले योगी उनकी परेशानियों को दूर कर देंगे. मगर अब जनता का भरोसा टूट रहा है