शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
इस कोरोना वैश्विक महामारी को सात महीना होने को आया हैं। हर तरफ डर का माहौल हैं। स्कूल ,कॉलेज बंद होने से और अन्य बंदिशों कि वजह से बच्चो कि ज़िन्दगी एक जगह सिमट व थम सी गई हैं। निराशा और कोरोना डर का दबाव अब बच्चे बर्दाश नहीं कर पा रहे हैं। और जिसके चलते वो आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम को बढ़ा रहे हैं। सूत्रों कि जानकारी के मुताबिक केरल में महामारी से 108 दिन के अंदर 66 तो ब्रिटेन में 56 दिन के लॉकडाउन में 26 मासूम बच्चो ने इस कोरोना से पीड़ित दुनिया से अलविदा कह दिया। नई दिल्ली के डॉक्टर बताते हैं| कि मानसिक रूप से बीमार बच्चो कि संख्या अधिक बढ़ रही हैं। डॉक्टर के कहना हैं |
कि कोरोना के चलते लॉक डाउन में बच्चो पर काफी बंदिशे लगाई गई हैं। जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने के साथ उन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं। कई माता पिता तो कोरोना के डर के कारण बच्चो को काउंसलिंग के लिए अस्पताल नहीं पहुंच रहे हैं। इस कारणवंश बच्चो कि मानसिक स्थति और भी ज्यादा बिगड़ रही हैं। स्कूल बंद होने से बच्चो में तनाव , घबराहट, बैचेनी ,जैसी हरकते बढ़ रही हैं। बाहर न जाना दोस्तों से न मिल पाना इन सब के कारण बच्चे उथल पुथल कर रहे हैं। और उनमे जान देने का गंभीर कदम सूझ रहा हैं।
• अब रखनी होगी बच्चो पर नज़र
डॉक्टर का कहना हैं | कि घर के अभिभावकों कि खास जिम्मेदारी बनती हैं |वो बच्चो कि जिम्मेदारी के साथ उनकी चिंता भी करे। बच्चे का व्यवहार अचनाक बदल जाए तो तुरंत सतर्क हो जाए उनके साथ अच्छे से बाते करे। बच्चे अगर चुप चाप रहने लगे या फिर बातो में चिड़चिड़ापन होने लगे तो उस पर अधिक ध्यान दे। उनके दिमाक में नकारत्मक विचार आए तो फ़ौरन डॉक्टर कि सलहा ले। थोड़ी सी भी चूक बच्चे के जीवन पर काफी भारी पड़ सकती हैं।