अपनी ही सरकार में बेबस भाजपा विधायिका

रिपोर्ट शरद द्विवेदी

रीडर टाइम्स न्यूज़

वर्तमान भाजपा विधायिका पर भारी पूर्व विधायक आशिफ खा बब्बू

आज के प्रकरण से एक बात निश्चित तौर पर समझी जा सकती है कि भाजपा सरकार की कथनी और करनी में फर्क है।जब भाजपा की वर्तमान शाहाबाद से विधायक रजनी तिवारी के जांच पत्र पर जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा सौपी गई रिपोर्ट पर भ्रष्टाचार में लिप्त पूर्व विधायक व चेयरमैन आशिफ खान बब्बू पर कार्यवाही नही हो सकी है तो आम जनमानस के शिकायती पत्र पर भ्रष्टाचार पर कार्यवाही नही हो रही है तो कोई अचरज की बात नही है।

इस प्रकरण से एक बात और समझ मे आती है कि पूर्व बसपा विधायक आशिफ खान बब्बू भाजपा विधायिका रजनी तिवारी पर भारी पड़ रहे है और भाजपा ही भ्रष्टाचार पर शांत है और दूसरे दलों को भ्रष्टाचार का जिम्मेदार बता कर उन्हें कोसती है। आप लोगो के संज्ञान में लाना है कि शाहाबाद नगर पालिका के चेयरमैन पद पर पिछले कई दसको से आशिफ खान बब्बू विराजमान थे उसके बाद उनकी पत्नी नसरीन बानो पद पर विराजमान हुई जो अब भी है।दरअसल शिकायतकर्ता मोहल्ला मौलागंज तहसील शाहाबाद के निवासी अनिल कुमार पांडेय ने आसिफ खान बब्बू व उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। व 17 विन्दुओं का लिखित शिकायत पत्र अगस्त 2019 में वर्तमान विधायक रजनी तिवारी को नगर पालिका परिषद शाहाबाद में ब्याप्त भ्रष्टाचार की जांच हेतु दिया था शिकायती पत्र को वर्तमान शाहाबाद की विधायिका ने संज्ञान भी लिया व शासन को भ्रष्टाचार की जांच हेतु पत्र भी लिखा।

विधायक रजनी तिवारी के पत्र को संज्ञान लेते हुए जांच भी हुई व तत्कालीन जिलाधिकारी पुलकित खरे ने तत्कालीन चेयरमैन आशिफ खान बब्बू को व अधिशाषी अधिकारी को दोषी मानते हुए शासन को दिनांक 31/12/2019 को अपने पत्रांक संख्या 973 के माध्यम से कार्यवाही करने के लिए पत्र शासन को प्रेषित कर दिया। आप लोगो के संज्ञान में लाना है कि विभागीय साठगांठ के चलते 17 बिंदुओं के शिकायती पत्र में वर्तमान चेयरमैन नसरीन बानो को साफ बचा लिया गया व आज लगभग एक साल पूरा हो गया लेकिन भाजपा सरकार ने पूर्व विधायक व पूर्व चेयरमैन पर कोई कार्यवाही नही की।

अपनी ही सरकार में भाजपा विधायिका रजनी तिवारी बेबस है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर तत्कालीन जिलाधिकारी पुलकित खरे द्वारा कार्यवाही करने के पत्र पर कार्यवाही क्यो नही की गई आखिर शासन के किस पटल पर यह पत्र गुमनामी में कैद है या वर्तमान विधायक रजनी तिवारी व पूर्व विधायक आसिफ खान बब्बू का कोई अंडर ग्राउंड समझौता हो गया है जिस कारण भ्रष्टाचार पर प्रहार करने वाली विधायिका रजनी तिवारी जी शांत है या भ्रष्टाचार पर दोहरी नीति रखने वाली भाजपा सरकार में खुद उन्ही की विधायिका महोदया लाचार व बेबस है यह काल के गर्त में है।