डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण व्यवस्था की जाए लागू।
2-10 दिनों में सरकार मामले पर जवाब दाखिल करें।
लखनऊ : प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव की नई आरक्षण व्यवस्था पर हाईकोर्ट ने असहमति जताते हुए रोक लगा दी है । हाईकोर्ट के आरक्षण संबंधी फैसले पर पूरे उत्तर प्रदेश की निगाहें लगी थी। अब जबकि कोर्ट ने अजय कुमार की तरफ से दाखिल याचिका पर वर्ष 2015 को आधार मानते हुए सीटों पर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने की बात कही है इस पर सरकार ने भी सहमति जताते हुए कहा है कि हम 11 फरवरी 2021 के शासनादेश की बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए तैयार हैं। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद अब पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण सूची में बदलाव किया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद नई आरक्षण व्यवस्था से दावेदारों और समर्थकों के बीच खासी असमंजस की स्थिति बन गई है । इस नई व्यवस्था से कई सीटों पर समीकरणों में भारी बदलाव आ जाएगा जिससे चुनावी गणित के पलटने के आसार हैं । साथ ही कोर्ट के इस निर्णय से पंचायत चुनाव में देरी भी होने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि प्रदेश में पंचायत चुनाव के चलते 25 से 27 मार्च तक अधिसूचना जारी होनी थी जो अब संभव होती नहीं दिख रही है । लेकिन कोर्ट ने सरकार को तय वक्त में ही सारे काम पूरे करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने सरकार को आने वाले 10 दिनों के अंदर मामले पर अपना जवाब दाखिल करने और 27 मार्च तक आरक्षण लिस्ट फाइनल करके 25 मई तक तय समय में ही चुनाव संपन्न कराने के आदेश दिए हैं। इस पूरे मामले पर सरकार ने अपनी गलती मानते हुए कोर्ट में यह साफ कर दिया था कि आरक्षण प्रक्रिया लागू करने में उनसे गलती हुई है और वह 2015 वर्ष को आधार मानकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने को तैयार हैं ।