Home राज्य उत्तरप्रदेश UP की जनसंख्या नीति पर बंटी धार्मिक गुरुओं की राय, कोई विरोध में तो कोई कर रहा है समर्थन
UP की जनसंख्या नीति पर बंटी धार्मिक गुरुओं की राय, कोई विरोध में तो कोई कर रहा है समर्थन
Jul 12, 2021
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
देश भर के किसी भी राज्य में अगर कुछ अच्छा हो रह हैं तो उसमे भला तो राज्य का ही होगा न फिर चाहे वो किसी भी मुद्दे पर क्यों न हो क्योकि चाहे सामाजिक मुद्दा हो , राजनीतिक मुद्दा , या धार्मिक मुद्दा हो सरकारों में किसी न किसी मुद्दों पर चर्चाएं हुआ ही करती हैं। वैसे ही अब यूपी में जनसंख्या के मुद्दे पर चर्चाएं हो रही हैं। यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार (yogi Government) ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की कवायद शुरू कर दी है। विपक्षी इसे चुनावी स्टंट मान रहे हैं। तो धार्मिक गुरुओं की राय बंटी हुई है।
असम के बाद अब उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा राज्य होगा, जो जनसंख्या नियंत्रण नीति पर कदम उठाने जा रहा है. राज्य विधि आयोग ने जनता की राय लेने के लिए ड्राफ्ट सार्वजनिक कर दिया है और अब योगी सरकार भी छोटा परिवार बंपर पुरस्कार की नीति ला सकती है. माना जा रहा है कि कानून बनाने से पहले सभी धर्म और समुदाय से भी इस पर चर्चा की जा सकती है।
सूत्रों के द्वारा , इस नीति को लेकर हर धर्म गुरु से उनकी राय जानने की कोशिश की. किसी धर्म गुरु ने इस नीति का स्वागत किया है तो किसी की मांग है इसे राज्य स्तर पर सीमित करने की वजह राष्ट्रीय स्तर पर सामने लाया जाना चाहिए तो कुछ धर्म गुरुओं की राय इस कानून के खिलाफ है। धर्म गुरुओं में बढ़ती आबादी पर कानूनी शिकंजे को लेकर एक राय नहीं है।
राष्ट्रीय स्तर पर लागू हो कानून :- हिंदू महासभा के अध्यक्ष और धर्म गुरु स्वामी चक्रपाणि ने बातचीत के दौरान बताया कि यह कदम एक अच्छा कदम जरूर है, लेकिन इसे सिर्फ एक राज्य के लिए सीमित करने की बजाय पूरे देश के लिए लागू होना चाहिए, जिसके लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश करते हैं.
किसी भी धर्म के साथ भेदभाव न हो :- वहीं, जैनगुरू जगतगुरु स्वास्ती रविंद्र कीर्ति स्वामी ने कहा कि इस कानून में किसी प्रकार से जाति और समुदाय संप्रदाय का भेद नहीं होना चाहिए चाहे वह जैन हो, बौद्ध हो, हिंदु, सिख या मुस्लिम हों या ईसाई हो, जो भी कानून होस सबके लिए एक समान आना चाहिए, ऐसा ना हो कि बहुसंख्यक समाज के लिए तो कानून लागू हो जाए, लेकिन पालन न करें.
जैन मुनि ने अपने ही परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके कुल 13 भाई-बहन थे, जिनमें से 9 लोगों ने विवाह करके अपने परिवार की आज की मौजूदा पीढ़ी तक कुल आबादी 190 तक पहुंच गई है. हालांकि जैन मुनि ने कहा कि जैन समाज के ज्यादातर लोग दो बच्चों पर सीमित हो चुके हैं, ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू होनी चाहिए.
कानून नहीं जागरुकता से नियंत्रित हो जनसंख्या :- ईसाई धर्मगुरु फादर सविरामुथु शंकर ने कहा कि जनसंख्या सिर्फ भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ रही है, इसलिए पूरे संसार का एक मुद्दा है, लेकिन सबसे ज्यादा युवाओं की संख्या हमारे देश में है तो ऐसे में हमें यह भी महसूस होता है कि हमारे देश का भविष्य युवाओं के हाथों में है, जो नया विचार और नई सोच ले करके आते हैं.
इस मुद्दे का लेकर बहुत से लोगो का कहना हैं कि जिस तरह चीन और दूसरे कई देशों ने जनसंख्या नियंत्रण नीति अपनाई लेकिन कुछ ही दशकों के अंदर उन्हें अपने उस नीति से लौटना पड़ा क्योंकि उनके यहां युवाओं के मुकाबले बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगी , सीधे नीति बनाने की वजह जागरूकता अभियान के जरिए इस पर नियंत्रण लगाना चाहिए।
जनसंख्या बिल बीजेपी का चुनावी प्रोपेगेंडा :- वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद शफीकुर्रहमान ने कहा कि यह बिल एक चुनावी प्रोपेगेंडा है, बीजेपी राजनीतिक एंगल से सब कुछ देखती है , मुझे लगता है कि शादी को रोकना बेहतर होगा, अगले 20 वर्षों तक किसी को भी शादी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और कोई बच्चे पैदा नहीं होंगे।