गाजर घास नियंत्रण जागरूकता अभियान…
Aug 20, 2021
संवाददाता अमित शुक्ला
रीडर टाइम्स न्यूज
फईम अख्तर प्रभारी कृषि रक्षा इकाई चिनहट ने बताया कि गाजर घास (पार्थेनियम) को देश के विभिन्न भागों में अलग अलग नामों जैसे कांग्रेस घास, सफ़ेद टोपी, चटक चाँदनी, गंधी बूटी, चिड़िया बाड़ी आदि नामों से जाना जाता है। हमारे देश में 1955 में दृष्टिगोचर होने के बाद यह विदेशी खरपतवार लगभग 35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में फैल चुकी है। यह मुख्यतः ख़ाली स्थानों, अनुपयोगी भूमियों, औद्योगिक क्षेत्रों, बगीचों, पार्कों, स्कूलों, रहवासी क्षेत्रों, सड़कों तथा रेलवे लाइन के किनारों आदि पर बहुतायत में पायी जाती है। पिछले कुछ वर्षों से इसका प्रकोप सभी प्रकार की खाद्यान्न फसलों, सब्ज़ियों एवं उधानों में भी बढ़ता जा रहा है। वैसे तो गाजर घास पानी मिलने पर वर्ष भर फल फूल सकती है परन्तु वर्षा ऋतु में इसका अधिक अंकुरण होने पर यह एक भीषण खरपतवार का रूप ले लेती है। गाजर घास का पौधा 3-4 महीने में अपना जीवन चक्र पूरा कर लेता है तथा एक वर्ष में इसकी 3-4 पीढ़ियाँ पूरी हो जाती हैं।
गाजर घास से मनुष्यों में त्वचा संबंधी रोग (डरमेटाइटिस), एक्ज़िमा, एलर्जी, बुख़ार, दमा आदि जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं। अत्यधिक प्रभाव होने पर मनुष्यों की मृत्यु तक हो सकती है। पशुओं के लिये भी यह खरपतवार अत्याधिक विषाक्त होता है। दुधारू पशु इसको अगर खा लेते हैं तो उसके दूध में कड़वाहट हो जाती है और ज़्यादा खा लेने से पशुओं की जान भी जा सकती है। गाजर घास के तेज़ी फैलने के कारण अन्य उपयोगी वनस्पतियाँ ख़त्म होने लगती हैं। जैव-विविधता के लिये गाजर घास एक बहुत बड़ा ख़तरा बनती जा रही है। इसके कारण फसलों की उत्पादकता बहुत कम हो जाती है।
नियंत्रण के उपाय-
1 – वर्षा ऋतु में गाजर घास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़कर कम्पोस्ट आदि बनाना चाहिये।
2 – गाजर घास के साथ साथ अन्य वनस्पतियों को भी नष्ट करने के लिये ग्लायफोसेट (1-1.5%) घास कुल की वनस्पतियों को बचाते हुए गाजर ख़ास को नष्ट करने के लिये 2,4-D(1-1.5%) या मेट्रिब्यूज़िन(0.3-0.5%) आदि खरपतवारनाशी रसायन का प्रयोग कर सकते हैं।
3- जागरूकता अभियान में विकास खण्ड चिनहट के प्रदीप सैनी, कौशल किशोर, रामहंस, सतीश चंद्र तिवारी, कृष्ण अवतार, दिनेश कुमार आदि कर्मचारी विकास खण्ड के समस्त गाँव में प्रचार प्रसार कर रहें हैं।
4- जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनय सिंह ने बताया यह जागरूकता अभियान जनपद के सभी विकास खण्ड में 16 से 22 अगस्त 2021 गाजर घास नियंत्रण जागरूकता अभियान सप्ताह के नाम से चलाया जा रहा है।