किसी अजूबे से कम नहीं है भारत का ये ‘उल्टा झरना’ ,
Sep 01, 2021
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
इस पृथ्वी पर ऐसे कई रहस्यमय स्थान हैं, जिन्हें आज तक इंसान खोज नहीं पाया है. जो खोजे भी गए हैं, उनके भी रहस्य इंसान को हमेशा उलझाए रहते हैं. भारत में भी एक ऐसे कई स्थल है, जो लोगों की जिज्ञासा का विषय बने रहते हैं. महाराष्ट्र के नानेघाट का उल्टा झरना भी एक ऐसा ही रहस्यमय स्थल है नानेघाट पुणे में जुन्नार के पास महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में स्थित है. ये मुंबई से लगभग तीन घंटे की दूरी पर स्थित है. ये घाट रिवर्स वॉटरफॉल के लिए दुनियाभर में फ़ेमस है. खासकर बरसात के मौसम में इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है. बड़ी संख्या में लोग रिवर्स वॉटरफॉल देखने आते हैं.
न्यूटन को खुली चुनौती देता है ये झरना…
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के मुताबिक, कोई भी चीज़ जो ऊपर से गिरती है, वो सीधे नीचे आती है. ऐसा झरनों को लेकर भी है. मगर नानेघाट के झरने के अपने अलग ही नियम है. दरअसल, ये झरना घाट की ऊंचाई से नीचे गिरने के बजाय ऊपर आ जाता है. जी हां, यही वजह है कि इस झरने को रिवर्स वॉटरफॉल कहते हैं.
आख़िर क्यों होता है ऐसा?…
अपनी ख़ासियत के कारण ये झरना लोगों के बीच काफ़ी मशहूर है. मगर सबके मन में सवाल रहता है कि आख़िर ये झरना नीचे गिरने के बजाय ऊपर कैसे उठता है. वैज्ञानिकों के माने तो इसका कारण हवाओं का तेज बल है जो बहते पानी को ऊपर की ओर धकेलता है. दरअसल, नानेघाट में हवा बेहद तेज़ चलती है. इस वजह से जब वाटरफॉल नीचे गिरता है तो वो हवा के चलते उड़कर ऊपर आ जाता है
अगर आपको ट्रैकिंग का शौक है, तो नानेघाट आपके लिए सबसे मुफ़ीद जगह है. नानेघाट ट्रैक घाटघर के जंगल का एक हिस्सा है, जो मुंबई से 120 किमी से अधिक और पुणे से लगभग 150 किमी दूर स्थित है. ट्रैकर्स द्वारा कल्याण-अहमदनगर राजमार्ग और कल्याण से भी इस स्थान तक पहुंचा जा सकता है. 4 से 5 किमी लंबे इस ट्रैक को दोनों ओर से पार करने में 5 घंटे का समय लग सकता है. पहाड़ की चोटी पर गाड़ियों से भी पहंचा जा सकता है. इसके लिए भी एक वैकल्पिक मार्ग बना है. हालांकि, यहां मानसून के दौरान आना बेहतर माना जाता है. क्योंकि रिवर्स वॉटरफॉल की ये अजीब घटना इसी वक़्त देखी जाती है, क्योंकि इस दौरान हवाएं काफ़ी तेज़ चलती हैं.