भारत एस 400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणालियां खरीदने के लिए रूस से करीब 40,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अक्टूबर में होने वाली वार्षिक शिखर बैठक से पहले कर सकता है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्तूबर में नई दिल्ली में होने वाली सालाना शिखर बैठक के पहले इस सौदे पर दस्तखत कर लिए जाएंगे।
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद को लेकर कीमत और तकनीक हस्तांतरण के कुछ मुद्दों पर बातचीत फंस रही थी। इन मुद्दों को अब सुलटा लिया गया है। इस मिसाइल प्रणाली की खरीद पर भारत सरकार 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। हालांकि दोनों देशों के बीच इसके लिए सहमति बन चुकी है, लेकिन अभी औपचारिक समझौता नहीं हो सका है। उम्मीद है कि इसी साल समझौते को अंतिम रूप दिया जा सकता है। इस मिसाइल प्रणाली की खरीद पर भारत सरकार 40 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी।
सूत्रों का कहना है कि रूस और भारत दोनों ही इस सौदे को मोदी व पुतिन के बीच शिखर वार्ता से पहले सिरे चढ़ाना चाहते हैं जो सितंबर या अक्टूबर में भारत में हो सकती है. उन्होंने कहा कि रूस व अमेरिका में जारी खींचतान के बावजूद भारत को पूरा भरोसा है कि इस सौदे को सिरे चढ़ाया जाएगा|इस सौदे पर बातचीत अक्तूबर 2015 से शुरू हो गई थी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की मंजूरी के बाद अक्तूबर 2016 में गोवा शिखर बैठक में मोदी-पुतिन ने कुल छह एस 400 प्रणाली की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू करने के करार (एमओयू) पर दस्तखत किए थे। बातचीत की प्रक्रिया कीमत के मुद्दे पर फंसने लगी थी। हाल में बेजिंग में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ शोइगो के बीच वार्ता में सभी मुद्दे हल कर लिए गए।भारत विशेषकर चीन के साथ अपनी 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली खरीदना चाहता है|
इस सौदे को अंतिम रूप दिए जाने के बाद पहली मिसाइल प्रणाली अगले 24 महीनों में भारत को मिलेगी। बाकी की पांच प्रणालियां अगले 54 महीनों में मिलेंगी। रूस ने हाल ही में अपने इन हथियारों को क्रीमिया सीमा पर तैनात किया है। रूस इस रक्षा प्रणाली को तुर्की और सऊदी अरब को भी बेचने का करार कर चुका है। इन मिसाइल प्रणालियों को नई दिल्ली, पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा और चीन से लगी अरुणाचल व लद्दाख सीमा पर तैनात किया जाएगा। इस मिसाइल प्रणाली के तहत लड़ाकू विमानों, ड्रोन, हेलीकॉप्टर हमले के साथ ही क्रूज मिसाइलों के हमले 25 से चार सौ किलोमीटर के दायरे में नाकाम कर दिए जाएंगे।