व्यक्ति को आदर्श पुरुष बना सकता है मौन व्रत ,


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
प्रकृति द्वारा मनुष्य को जो सबसे बड़े वरदान मिले हैं, उनमें से एक है वाणी इससे जहां व्यक्ति एक ओर अपने मन के भावों को व्यक्त कर पाता है, तो दूसरी ओर वह अपने जीवन के सभी तरह के व्यवहार भी कई प्रकार से संचालित कर पाता है। विवेक और विचार रहित वाणी से व्यक्ति अपना अहंकार बोलता है और अपनी ईष्र्या से उपजी हुई दुर्भावना को व्यक्त करता है, जिससे द्वेष बढ़कर मनुष्य का जीवन दूषित कर देता है। इसीलिए हमारे आचार्यो ने हमें कम बोलने का और इसी बहाने मौन व्रत करने का निर्देश किया है।

मौन व्रत दो प्रकार का होता है। मौन का स्वभाव रखने वाले व्यक्ति की विशेषता यह होती है कि उसे अपनी वाणी पर नियंत्रण रखने के कारण समाज में एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हो जाती है। दूसरी उपलब्धि यह होती कि उसकी संयमित भाषा उसके स्वाभिमान को सुरक्षित रखती है। जिसका स्वभाव मौन रखने का होता है तो उसका कोई शत्रु नहीं होता और उसके द्वारा सदा सत्य की सुरक्षा भी होती है। कई बार मौन की भाषा भी बहुत मुखर होती है। इसीलिए भारतीय परंपरा में मौनी अमावस्या के दिन सभी के लिए मौन वृत्ति पालन करने का विधान किया गया है ,