उत्तर प्रदेश केे कैराना और नूरपुर उपचुनाव में होने वाले उपचुनाव लेकर विपक्ष बीजेपी के खिलाफ एकजुट होता नजर आ रहा है | कल जयंत चौधरी के साथ अखिलेश यादव की मुलाकात के बाद नया समीकरण बना है। गोरखपुर में भी निषाद पार्टी के प्रत्याशी ने सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव 28 मई को होने वाला है।
जानकारी के मुताबिक, आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर समझौता हो गया है| और उपचुनाव में सीटें भी बंट गई हैं | शनिवार (05 मई) को मायावती की हरी झंडी मिलने के बाद इसका औपचारिक ऐलान हो सकता है |शुक्रवार को लखनऊ में हुई सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के नेता जयंत चौधरी की मुलाकात हुई और इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच सहमति बनी कि कैराना सीट पर सपा और नूरपुर सीट पर आरएलडी का प्रत्याशी चुनाव लड़ेगा।
बताया जा रहा है कि एसपी नेता तबस्सुम हसन आरएलडी के सिंबल से कैराना लोकसभा सीट से मैदान में उतरेंगी। समाजवादी पार्टी इस चुनाव में बसपा से नजदीकी का भी लाभ लेने के प्रयास में है। इस सीट पर स्वर्गीय मुनव्वर हसन की भी अपनी साख रही है। 2009 में पत्नी तबस्सुम हसन ने यहां से जीत हासिल की थी। अब एक बार फिर तबस्सुम हसन को समाजवादी पार्टी टिकट देने की तैयारी में थी।माना जा रहा है कि रविवार को इस संबंध में आधिकारिक तौर पर घोषणा हो सकती है।
2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बसपा और सपा में पहले ही गठबंधन हो चुका है। मायावती ये भी ऐलान कर चुकी हैं कि वो लोकसभा के आम चुनाव से पहले किसी भी उपचुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेंगी। ऐसे में कैराना सीट पर सपा, लोकदल और बसपा का संयुक्त प्रत्याशी उतरने से भाजपा उम्मीदवार के लिए जीत हासिल करना काफी मुश्किल हो सकता है। कैराना लोकसभा में करीब 17 लाख वोट हैं। इनमें 3 लाख मुस्लिम, 4 लाख ओबीसी (जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप, प्रजापति व अन्य) और लगभग 1.5 लाख जाटव वोट हैं।