कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन मुल्क के इस ऑफिसर ने बचाई भारतीय कैप्टन नचिकेता की जान

कप्तान नचिकेता भारतीय वायुसेना

कप्तान नचिकेता भारतीय वायुसेना

कहा जाता की  ईश्वर अपने बन्दों को हर जगह मौजूद रखता है, ताकि वो अपने नेक बन्दों की रक्षा कर सके . इस बार की एक अनसुनी कहानी कुछ ऐसी थी, जिसे बीते हुए भले की कई साल हो चुके थे, पर कैप्टन नचिकेता भली भांति जानते थे , कि अगर कारगिल युद्ध में उस दुश्मन ऑफिसर ने जान न बचाई होती , तो शायद आज वो जिंदा नहीं होते.

क्या है पूरा वाकिया :-

-कारगिल युद्ध के दौरान कैप्टन नचिकेता भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे , और मिग 27 विमान से दुश्मन क्षेत्र में जाकर हवाई हमला कर रहे थे , और दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे .

-अचानक प्लेन में आई कुछ खराबी की वजह से  उनका प्लेन POK में स्कर्दू के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया, पर इश्वर की कृपा से कैप्टन नचिकेता बच गए.

-जान तो बच गयी पर दुश्मन सेना ने कैप्टन को पकड़ लिया और कैंप में ले जाकर उनपर अमानवीय टार्चर का इस्तेमाल करने लगे की तभी कैसर तुफैल (जो कि पाकिस्तानी वायुसेना में एयर कमोडोर के पद से रिटायर होकर वायुसेना में डायरेक्टर ऑफ़ ऑपरेशन्स पद पर तैनात थे ) ने वहां आकर कैप्टन नचिकेता को सेना से बचाया और अपने साथ अपने कमरे में ले गए .

कैसर तुफैल पाकिस्तानी एयरफोर्स

कैसर तुफैल पाकिस्तानी एयरफोर्स

-कमरे में कैसर ने कैप्टन नचिकेता से उनके बारे में बातचीत करी और दोस्तों की तरह बर्ताव किया. कैसर ने अपने पिता के ख़राब स्वास्थ के बारे में और अपनी बहन की शादी के बारे में कैप्टेन को बताया . बताते चले कि उसी युद्ध के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया को भी ऐसे ही पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था और अमानवीय रूप से टार्चर करते हुए जान से मर दिया था. कैप्टन सौरभ को आज भी अपनी क़ुरबानी के लिए याद किया जाता है.

-8 दिन कैद में रहने के बाद में कैप्टन नचिकेता को भारतीय सरकार ने कूटनीति के ज़रिये रिहा करा लिया था.

-आज भी कैप्टन नचिकेता कैसर तुफैल के बारे में बात करते हुए बताते हैं की अगर उस दिन कैसर ने उनकी जान नहीं बचाई होती, तो पाकिस्तानी सेना ने उनके साथ न जाने क्या सलूक किया होता.

 

सच ही कहा गया है, की इश्वर अगर चाहे तो आप का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है. और यहाँ तो साक्षात मौत के मुंह से कप्तान नचिकेता को ईश्वर ने बचाया और ज़ाहिर सी बात है, कि जरिया कैसर तुफैल बने.