Home अद्धयात्म सर्वपितृ अमावस्या : पर कैसे करे पितरों की विदाई ; जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं ,
सर्वपितृ अमावस्या : पर कैसे करे पितरों की विदाई ; जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं ,
Sep 12, 2022
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
पितृ पक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से हो चुकी है. 16 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा. अश्विन माह में पड़ने वाली अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या और महालय अमावस्या के नाम से जानते हैं. इस दिन पितरों के पिंडदान , तर्पण और दान आदि का आखिरी दिन होता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है, जिसके बाद पितृ पक्ष का समापन हो जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितरों को विदाई देने, विशेष पूजा-पाठ और नियमों का पालन करने से पितर प्रसन्न होकर अपने लोक को जाते हैं और वंशजों को खूब सारा आशीर्वाद देकर जाते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या 2022 तिथि मुहूर्त –
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर 2022 रविवार के दिन पड़ रही है. तिथि का आरंभ सुबह 03 बजकर 11 मिनट से लेकर 26 सितंबर 2022 सोमवार सुबह 03 बजकर 22 मिनट कर है. ऐसे में 25 सितंबर के दिन पितरों को विदाई दी जाएगी.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या करें और क्या नहीं-
अश्विन अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन पितरों की विदाई दी जाती है. इसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन तर्पण करना आवश्यक माना गया है. माना जाता है कि इस दिन घर आए किसी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं भेजना चाहिए. उसे कुछ पैसे, अन्न, वस्त्र आदि का दान अवश्य करना चाहिए.
पितृ पक्ष के आखिरी दिन मांस-मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें. ऐसा करने से पितृदोष का सामान करना पड़ सकता है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन अनजाने में हुई गलती के लिए भगवान से क्षमा मांगल लें और ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे पितर नाराज हो जाएं. मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करके ही विदा करना चाहिए. ताकि वे जाते समय खूब सारा आशीर्वाद वंशजों को देकर जाएं.
सर्वपितृ अमावस्या महत्व-
हिंदू धर्म में वैसे तो हर माह आने वाली अमावस्या का अपना महत्व बताया गया है. लेकिन अश्नविन अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या या फिर महालय अमावस्या का खास महत्व है. इस दिन पितरों का तर्पण करने से वे प्रसन्न होते हैं. इस दिन पितरों के निमित्त विशेष व्यंजन व पकवान बनाए जाते हैं. भोजन को कौए, गाय, कुत्ते आदि को दिया जाता है. इसके साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोज भी कराया जाता है. पितृदोष से पीड़ित लोगों के लिए ये दिन महत्वपूर्ण होता है.