Home राज्य उत्तरप्रदेश सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं सुधर रहे हैं ग्राम प्रधान : सेक्रेटरी व कोटेदार ,
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं सुधर रहे हैं ग्राम प्रधान : सेक्रेटरी व कोटेदार ,
Dec 14, 2022
शिवधीश त्रिपाठी
रीडर टाइम्स न्यूज
सरकार लगातार दावे कर रही है कि वह सरकार द्वारा चलाई जा रही जितनी भी योजनाएं हैं सभी का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचा रही है लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है सरकार लगातार गरीबों के लिए खाने के लिए अनाज कोटेदारों के माध्यम से प्रति व्यक्ति 5 किलो देने का कार्य कर रही है. कोरोना काल में इसे बढ़ाकर 10 किलो कर दिया गया था. तब से लेकर आज तक लगातार इसको कई बार रिपीट कर चुकी है. मतलब प्रति व्यक्ति 10 किलो देने का कार्य कर रही है. बीच-बीच में या योजना बंद भी की गई लेकिन सरकार ने परेशानियों को देखते हुए इस को पुनः कई बार लागू किया कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए इसके लिए योजनाएं चलाई जा रही थी. किसानों के लिए किसान सम्मान निधि के रूप में बराबर पैसा देने का कार्य कर रही थी. जो सीधे इसका लाभ उनके अकाउंट पर भेजकर कर रही थी लेकिन आज भी अधिकतर गांवों में आप देख सकते हैं कि दबंग प्रधान व कोटेदार की मिलीभगत से सभी जरूरतमंदों को इसका लाभ पूरी तरीके से नहीं मिल पा रहा है. ऐसा ही मामला हरदोई के बिलग्राम तहसील के ग्राम “सभा सखेड़ा” का सामने आया है जहां के ग्राम वासियों ने प्रधान व कोटेदारों पर गंभीर आरोप लगाए उनका कहना है कि सरकार द्वारा लगातार दिए जा रहे हैं राशन पर कोटेदार अपनी मनमानी कर उसमें से गेहूं कम करके देता है सरकार प्रत्येक कोटेदार को 70 पैसे प्रति किलोग्राम की दर से उनका कमीशन देती है उसके बावजूद उनके गांव का कोटेदार हर 30 किलो पर 2 किलो गेहूं कम देता है मतलब अगर किसी व्यक्ति के यहां 6 लोग हैं तो एक बार में उसको 30 किलो मिलना चाहिए और वह उसको 28 किलो ही देता है.
ग्राम वासियों ने प्रधान व सेक्रेटरी पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं उनका कहना है कि मनरेगा में जिन मजदूरों का पंजीकरण है उनके नाम से पैसा निकाल कर खुद सेक्रेटरी व प्रधान बांट लेता है यही नहीं पात्र गरीब व्यक्तियों के लिए जो आवास आवंटित किए जाते हैं उसमें में सिर्फ और सिर्फ प्रधान के नजदीकी व्यक्तियों को ही इसके लाभ मिल पा रहे हैं फिर चाहे भले ही वह अपात्र क्यों ना हो और जो वाकई में पात्र होते हैं उनको इन सब योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गांव में कोई विकास कार्य भी नहीं नजर आ रहा है, यहां तक की गांव में घर-घर शौचालय का जो प्रधानमंत्री जी का सपना था उसको भी प्रधान व सेक्रेटरी ने मिलकर चूर चूर कर दिया है अधिकतर लोगों के यहां लैट्रिन नहीं बनी है और जिनके यहां खानापूर्ति के नाम पर ढांचा खड़ा किया गया है न तो टैंक बना है ना ही गहरा गड्ढा खोदा गया ऐसा लोगों का कहना है आज भी महिलाएं व पुरुष प्रातः काल में आपको लोटा लेकर खेत में जाते हुए नजर आ जाएंगे ग्राम वासियों ने इनकी शिकायत भी की लेकिन अधिकारियों से सांठगांठ होने व अपनी ऊंची पहुंच के कारण कोई सुनवाई नहीं हो रही है. यह मामला सिर्फ एक गांव का नहीं है बल्कि अधिकतर गांवों में आपको यही नजर आएगा ब्लाक सांडी के ही कई गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया गया था .
लेकिन जब उनका रियलिटी ग्राउंड चेक हुआ तो वहां पर सब लीपापोती नजर आई सरकार की सारी योजनाएं कागजों एवं कंप्यूटर की वेबसाइट पर शोपीस बनकर रह गई है अधिकारी व कर्मचारी इसको गंभीरता से नहीं लेते हैं क्योंकि प्रधान ही नहीं एडीओ पंचायत का भी पूरा सहयोग इन लोगों को रहता है कई मामलों में इनकी संलिप्तता पाई गई है और प्रशासन ने इनके खिलाफ कार्रवाई भी की है हाल ही में एक ग्राम पंचायत सांडी के एडीओ पंचायत व सेक्रेट्री दोनों सस्पेंड कर दिए गए थे ,और नेता लगातार वाही लूटने में लगे हैं. ऐसा नहीं है कि सरकार इसके लिए फंड नहीं दे रही है या इसको धरातल पर लाने के लिए गाइडलाइन नहीं बना रही है वह लगातार कोशिश भी कर रही है कि जरूरतमंद को हर योजना का लाभ मिले लेकिन विकास के प्रथम पायदान कहे जाने वाले ग्राम प्रधान ही सबसे बड़ा मील का पत्थर व रोडा साबित हो रहे हैं इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इसको कितनी गंभीरता से लेता है व ऐसे ग्राम प्रधान व कोटेदार एवं सेक्रेटरी के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है क्या लाभार्थी गरीबों को न्याय मिल पाएगा एवं जरूरतमंदों को सरकार की योजनाओं का लाभ पूरी तरीके से मिल पाएगा या नहीं.