अभी कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी की सारी मुश्किलें सुलझती दिख रही थीं पर शनिवार को घाटे घटनाक्रम ने एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं . पार्टी 2 खेमों में बँटी दिख रही हैं . अखिलेश खेमे में ज़्यादातर सभी युवा कार्यकर्ता, युवा नेता, मंत्री हैं तो दूसरी ओर शिवपाल के खेमे में पुराने , मज़बूत लोग खड़े हैं.
कहाँ से हुई झगड़े की शुरुवात :-
-अखिलेश यादव ने मुख्या सचिव को हटा दिया और 2 मंत्रियों को मंत्री पद से हटा दिया.
-उसके बाद मुलायम सिंह के कहने पर शिवपाल को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया .
-प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के कुछ ही घंटों के अंदर अखिलेश ने शिवपाल के 9 में से 7 विभाग छीन लिए.
– विभाग छीने जाने के बाद मुलायम सिंह ने सामने आकर अखिलेश का फैसला रद्द कर दिया और बर्खास्त मंत्री गायत्री प्रजापति को वापस मंत्री बनाये जाने की बात करी.
– अखिलेश के सपोर्टर्स ने अखिलेश को वापस प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की बात कही पर मुलायम नहीं माने, पर हाँ अखिलेश को राज्य संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया, और सभी युवा प्रकोष्ठों का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. बताते चले की अब प्रदेश में टिकेट बांटने के फैसले का अधिकार अखिलेश के पास आ गया हैं बावजूद इसके कि वो अध्यक्ष नहीं हैं.
हाल ही में बीते शनिवार अखिलेश खेमे में मंत्री एमएलसी सुनील सिंह साजन (एमएलसी), आनंद भदौरिया (एमएलसी), संजय लाठर (एमएलसी) समेत 4 अन्य युवा अध्यक्षों ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के आवास के बाहर जम कर हंगामा किया और अखिलेश को वापस अध्यक्ष बनाये जाने कि मांग करी. इसी दौरान कार्यकर्ताओं कि गेट पर खड़े पुलिस कर्मियों से धक्का मुक्की भी हो गयी . कुछ टिप्पड़ियां भी मुलायम सिंह के ऊपर कर दी गयीं. इसकी जानकारी मिलने के बाद मिलायं सिंह ने तत्काल विडियो रिकॉर्डिंग को मंगवाया और देखा. जाँच में तथ्य पाए जाने पर युवाजन सभा, लोहियावाहिनी, मुलायम ब्रिगेड और छात्रसभा के अध्यक्षों को शिवपाल यादव ने सोमवार को बर्खास्त कर दिया। इसके बाद तीन एमएलसी सुनील सिंह साजन (एमएलसी), आनंद भदौरिया (एमएलसी), संजय लाठर (एमएलसी) और यूथ विंग के चार अध्यक्षों मो. एबाद, बृजेश यादव, गौरव दुबे, दिग्विजय सिंंह देव को मुलायम सिंह के ऊपर गलत टिप्पड़ी करने और अनुशासनहीनता के चलते पार्टी से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया हैं.
अब आगे देखना यह हैं कि अखिलेश के यह सारे प्रिय मंत्री और अध्यक्षों को बाहर का रास्ता दिखने पर अखिलेश क्या एक्शन लेते हैं, क्योंकि चोट तो हुई हैं , और वो भी बहुत गंभीर .