Home राज्य उत्तरप्रदेश हरदोई के कोथावां सीएचसी में : कमीशन के चलते धड़ल्ले से लिखी जा रही बाहर की अनावश्यक जांचें ,
हरदोई के कोथावां सीएचसी में : कमीशन के चलते धड़ल्ले से लिखी जा रही बाहर की अनावश्यक जांचें ,
Feb 11, 2023
संवाददाता व्यास मौर्य
रीडर टाइम्स न्यूज़
कोथावां हरदोई, सरकार जहां गरीबों को मुफ्त व सस्ता इलाज मुहैया कराने का वादा करती है वही ज्यादातर सीएचसी पर स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर बनाने का प्रयास है लेकिन करोड़पति की श्रेणी में खुद को सुमार करने की होड़ में धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अब गरीबों के खून पसीने की कमाई को मोटे कमीशन के रूप में महंगी व अनावश्यक जांचो के सहारे लूटने में लगे हैं। मामला कोथावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है जहां डॉक्टर लगातार गरीब मरीजों को बाहर की महंगी जांचें लिखने से नहीं चूकते जिसमें डॉक्टरों का मोटा कमीशन फिक्स है बताते चलें की पट्टी गांव की लक्ष्मी क्षय रोग की आशंका के चलते कोथावां सीएचसी डॉक्टरी सलाह को आई। मगर उस गरीब की मजबूरी का फायदा डॉ दिवाकर ने उठाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी ₹1000 के अनावश्यक जांचें कोथावां में दिनेश अवस्थी द्वारा संचालित डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए लिखी। जबकि कुछ जाचे सीएचसी में भी की जा सकती थी लेकिन मोटे कमीशन के चलते ऐसा नहीं किया गया कोथावां प्रथम सदस्य जिला पंचायत के पहुंचने पर उन्होंने जब सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर विपुल वर्मा से बात की उन्होंने जांचो में छूट करवाते हुए ₹500 वापस करवा दिए। कोथावां सीएचसी में जांच की पर्ची नहीं दी जाती है ताकि मरीज बाहर से ही जांच करवाएं सीएचसी में खुलेआम मेडिकल जांचें और दवाइयों में कमीशन का खेल बहुत ही सतर्कता पूर्वक चल रहा है सरकार के आदेश अनुसार सीएचसी में आने वाले मरीज का इलाज फ्री में करना पड़ता है इसकी भरपाई वह बाहर से मेडिकल जांचो व दवाइयों में कमीशन लेकर करते हैं कोथावा सीएचसी में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए यहां अधिकांश चिकित्सकों की अलग-अलग लैब व मेडिकल दुकानों से मिलीभगत है और वे अपनी पर्चियों पर 30 से 40% तक कमीशन लेते हैं चाहे कुछ भी करना पड़े गरीब मरीजों को आर्थिक रूप से परेशान करना चिकित्सकों के लिए सामान्य बात हो चुकी है मरीज की जांचो के कमीशन के खेल में डॉक्टरों का फोकस अनावश्यक जांच पर ज्यादा रहता है चिकित्सक अपनी टेबल पर मरीज को देखते हैं और पर्ची पर दवाइयां व जांच लिखकर फ्री हो जाते हैं और मरीज के पास चाहे पैसा हो या ना हो लेकिन वह बाहर की जांच लिख देते हैं। सरकारी वेतन से उनका पेट नहीं भरता जब तक हर मरीज पर वे लगभग 300 रुपए कमीशन न खा ले। बेचारे गरीब मरीज परेशान बेबस हैं करे तो क्या करें । डॉक्टरों के लिए मरीजों की जिंदगीयो से ज्यादा पैसा कीमती है।