Home अद्धयात्म आ रही हैं शिवरात्रि : इस दिन बेलपत्र से पूजा करने का होता हैं खास महत्व ,
आ रही हैं शिवरात्रि : इस दिन बेलपत्र से पूजा करने का होता हैं खास महत्व ,
Feb 12, 2023
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
हिंदू धर्म के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 के दिन मनाया जाएगा. इस दिन बेलपत्र से पूजा करने का खास महत्व बताया गया है. कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि बेलपत्र भगवान शिव को बेहद प्रिय है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं. कहते हैं कि इससे भगवान शिव का मस्तक शीतल रहता है. कहते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से 1 करोड़ कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. वहीं, बेलपत्र चढ़ाते हुए अगर कुछ नियमों का पालन न किया जाए, तो भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. आइए जानें बेलपत्र अर्पित करने के नियम और लाभ.
शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से लाभ –
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से व्यक्ति को दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है.
– कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा के दौरान जो महिलाएं बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित करती हैं, तो उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
– अपनी किसी भी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव को बेलपत्र पर चंदन से राम या फिर ओम नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करने से लाभ होता है.
– कहते हैं कि भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. साथ ही व्यक्ति को सभी संकटों से छुटकारा मिलता है.
इन नियमों के साथ अर्पित करें बेलपत्र –
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप भगवान शिव को तीन मुखी बेलपत्र अर्पित करते हैं, तो ध्यान रखे कि उसमें किसी प्रकार का कोई दाग नहीं होना चाहिए. कोई धब्बा होने पर भी बेलपत्र अर्पित नहीं करना चाहिए.
– कहते हैं कि मुरझाय हुए बेलपत्र शिवलिंग पर भूलकर भी अर्पित न करें.शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से पहले उसे साफ पानी से साफ धो लें. इसके बाद बेलपत्र के चिकने हिस्से को शिवलिंग पर अर्पित करें.
– बेलपत्र बासी या फिर झूठा नहीं होना चाहिए.
– ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कम से कम 1 बेलपत्र नियमित अर्पित करना चाहिए. वैसे बेलपत्र 11 या 21 की संख्या में अर्पित किए जाते हैं.