रीडर टाइम्स डेस्क
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सभी शुभ कार्यों को किया जाता है। स्वर्ण का भी हमारे जीवन में विशेष महत्व है। हर शुभ कार्यों में सोने का आदान-प्रदान शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से हमें वैभव एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सोना खरीदने से धन की उत्तरोत्तर वृद्धि होती जाती है। धन का कभी क्षय नहीं होता, सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
इस दिन मां लक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाता है ,क्योंकि अक्षय तृतीया के दिन ही कुबेर जी को खजाना मिला था।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया साल की 3 खास मुहूर्त में सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है। इस दिन अधिकांश शुभ कार्य किए जाते हैं ।
22 अप्रैल को पड़ने वाली अक्षय तृतीया में पूजा के लिए सुबह 7:45 से 12:20 तक सबसे शुभ मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन किए गए अच्छे कार्यों से प्राप्त फल का कभी क्षय नहीं होता । इसी लिए इसको अक्षय तृतीया कहा जाता है।
वैदिक मान्यताओं में त्रेता युग का प्रारंभ अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था। त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने धरती पर दुष्टों का नाश करने के लिए जन्म लिया था।
अक्षय तृतीया को गंगा नदी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकलकर इस धरातल पर अवतरित हुई थी । इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है। तब से लेकर आज तक गंगा अविरल बहकर हम सभी को मोक्ष प्रदान कर रही है।
अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण को उनके गरीब मित्र सुदामा ने सूखे चावल अर्पित किए थे जिसके बदले में द्वारिकाधीश ने उन्हें त्रैलोक्य का ऐश्वर्य प्रदान कर दिया था।
महाभारत ग्रंथ के रचयिता वेदव्यास ने इसी अक्षय तृतीया के दिन महाभारत लिखने का श्रीगणेश किया था।
भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा की तैयारी अक्षय तृतीया से ही शुरू होती है। यह यात्रा देखने के लिए विश्व भर से लोग यहां आते हैं । भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ इस यात्रा पर निकलते हैं। इस यात्रा में इस्तेमाल होने वाले नए रथो का निर्माण भी अक्षय तृतीया के दिन ही शुरू किया जाता है।
चार धामों में सबसे महत्वपूर्ण बद्री विशाल के पट अक्षय तृतीया के दिन ही दर्शनों के लिए खोले जाते हैं।