सब कुछ अच्छा कर दे तू ,
दिल फिर बच्चा कर दे तू ।।
जीवन सच्चा कर दे तू ,
दिल फिर बच्चा कर दे तू ।।
चाँद सितारे जमीं पे ला ,
माँ परियों को फिर से बुला ,
गोद में अपनी मुझे सुला ,
सब कुछ वैसा कर दे तू ,
दिल फिर बच्चा कर दे तू ,
कुछ कच्चा पक्का कर दे तू ,
सब अच्छा अच्छा कर दे तू ।।
रोते रोते हंसना सिखा ,
चलते गिरते उठना सिखा ,
भाग के आऊं पास मैं तेरे ,
फिर आँचल में मुझे छुपा ,
बचपन वाली डांट लगा ,
माँ मेरा बचपन लौटा ,
कुछ तो वैसा कर दे तू ,
दिल फिर बच्चा कर दे तू ।।
श्रुति शुक्ला
( पुत्री )
सुभाष चन्द्र बाजपेई एडवोकेट