रिपोर्ट -डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
वही देश की सेवा करते हुए बेटे की शहदत पर बुजुर्ग पिता लालचंद्र की आँखे नम , दिल में गम और चेहरे पर उदासी की झलक के साथ मुँह पर चुप्पी दिखी। मेजर आशीष की अंतिम यात्रा में सड़क के दोनों तरफ खड़े लोगो ने आशीष के पार्थिक शव पर बहुत ही आदर – सम्मान से फूल बरसाकर उन्हें विदा किया।
इस अंतिम यात्रा के साथ शहीद मेजर की बहने और माँ भी थी। मेजर आशीष की अंतिम। यात्रा के दौरान ही आशीष मेजर की माँ ने पुरे रस्ते हाथ जोड़े रही , जबकि बहन ने भाई को सैल्यूट करती रही। और कहा की मेरा भाई देश का गर्व है।
शहीद मेजर आशीष ने कहा था दुश्मनो को निपटाकर लौटूंगा।
अंतिम सस्कार से पहले रेजिमेंट के जवानो ने शहीद मेजर आशीष को आदर -सम्मान पूर्वक सशस्त्र सलामी दी
शहीद मेजर आशीष को पूरी रस्मो व विधिवत के साथ गांव के लोगो ने किया अंतिम संस्कार।
शहीद हुए मेजर आशीष को श्रद्धांजलि देने उम्दा जनसैलाब।
मेजर आशीष की अंतिम यात्रा के पीछे एक किलोमीटर लम्बा काफिला चला अनुमान लगाया जा सकता हैं की दस हजार से ज्यादा लोग शामिल होंगे
इतना ही नहीं करीब झुग्गी झोपडी में रहने वाली महिलाए भी अंतिम यात्रा में मन आखो से शामिल रही।
इस दर्द भरी अंतिम यात्रा में गांव के लोग ने ( जब तक सूरज चंद रहेगा आशीष तेरा नाम रहेगा ,भारत माता की जाए और मेजर आशीष अमर रहे ऐसे शब्दों के साथ नारे लगाए गए।