सागर से सरयू तक राम नाम का उत्सव है : पीएम मोदी !

रिपोर्ट – डेस्क रीडर टाइम्स

राम विवाद नहीं समाधान है राम आ गए : पीएम मोदी
न्याय की मूर्ति भगवान राम का मंदिर भी न्यायिक तरीके से ही बना : पीएम मोदी

अयोध्या। सदियों की लंबी प्रतीक्षा के बाद आज भगवान राम अयोध्या के अपने विशाल,अद्वितीय, अद्भुत मंदिर में विराजमान हो चुके हैं। अपने ही देश अपने ही घर में अपने वजूद की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आज रामलला अपने घर आ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे राम आ गये हैं । कंठ अवरुद्ध है,चित्त उस पल में लीन है। हमारे राम लला अब टेंट में नहीं रहेंगे,रामलला दिव्य मंदिर में रहेंगे।ये पल पवित्रतम है,आज नव इतिहास का सृजन हो गया है। ये समय सर्वकालिक अमिट रेखाएं खींच रहा है।संविधान में भगवान राम विराजमान हैं। प्रधानमंत्री ने कहा की न्याय की मूर्ति भगवान राम का मंदिर भी न्यायिक तरीके से ही बना है राम की अस्तित्व की इससे अधिक प्रमाणिकता क्या हो सकती है। न्यायपालिका ने न्याय की लाज रख ली। आज शाम दीपोत्सव मनाइए। उन्होंने कहा की सागर से सरयू तक उत्सव भाव छाया हुआ है। भारतीयों के मन में राम हैं,पर्व से परंपराओं तक में राम हैं,राम रस जीवन प्रवाह की तरह बहता रहता है।

राम कथा असीम है,रामायण अनंत है।कुछ लोग कहते थे राम मंदिर बना तो आग लग जायेगी।वो लोग भारत के आपसी सद्भाव को नहीं समझ पाये,यह मंदिर आग नहीं,ऊर्जा को जन्म दे रहा है।विरोधी सुनें-राम आग नहीं,राम ऊर्जा हैं ,राम सबके हैं,राम विवाद नहीं समाधान हैं।राम अनंत काल हैं,यह राम लला की प्राण प्रतिष्ठा नहीं अपितुभारत की संस्कृति की प्राण प्रतिष्ठा है।यह मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है,यह भारत के दर्शन का मंदिर है, यह भारत की चेतना का मंदिर है।राम भारत की चिंतन हैं ,राम विश्वास हैं व्यापक हैं, राम नीति हैं ,राम निरंतर हैं।सवाल है मंदिर तो बन गया अब आगे क्या – इसलिए मैं कहता हूँ-कालचक्र बदल रहा है,हमारी पीढ़ी को कालचक्र ने चुना है,यही समय है सही समय है।

आगे एक हज़ार साल के समर्थ,सक्षम,भव्य,दिव्य,भारत की नींव रखनी है।आदिवासी माँ शबरी का ध्यान आते ही विश्वास जागृत होता है कि राम आयेंगे।देव से देश ,राम से राष्ट्र की चेतना का विस्तार, निषादराज और राम का संबंध अपनत्व विश्वास के संबंध का संदेश देता है।कोई छोटा नहीं है,गिलहरी को याद करिये,छोटे बड़े हर प्रयास की अपनी ताक़त होती है। संकल्प लीजिए राम काज से राष्ट्र काज के लिये पल पल लगा देंगे । जिसमें रम जाए वही राम है। पर्वत से लेकर परंपराओं तक राम समाये हुए हैं। हर युग में लोगों ने राम को जिया है अभिव्यक्त किया है।

अहम से वयम की ओर चलना है। भारत को वैभवशाली बनाना है,ये अमृत काल है।युवा ऊर्जा से भरा हुआ है,हमे अब चूकना नहीं है,युवाओं अब बैठना नहीं है। चाँद से सूर्य तक नवप्रभात हो रहा है,इसे अनंत तक ले जाना है। कालचक्र बदल रहा है और सही दिशा में आगे भी बढ़ रहा है आवश्यकता है हमें उसे कालचक्र को समझने की और अपनी भूमिका सुनिश्चित करने की। ये मंदिर साक्षी बनेगा भव्य भारत के अभ्युदय का ,अगर लक्ष्य प्रमाणिक हो तो उसे प्राप्त करना असंभव नहीं है।अब हम रुकेंगे नहीं विकास की ऊँचाई तक जायेंगे।