रूस के सोचि में आज राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर पीएम मोदी यहां एक अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लेंगे, रूस लंबे समय से भारत का भरोसेमंद सहयोगी रहा है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक, सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों का एक लंबा इतिहास रहा है।
भारत का रूस से रिश्ता काफी पुराना है, लेकिन अब तेजी से बदलते भू-राजनीतिक हकीकत के बीच इसमें बदलाव आ रहा है | दोनों देशों के शीर्ष नेता एक-दूसरे से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं, लेकिन कई मसलों पर भिन्नता बढ़ी है |व्लादिमीर पुतिन ने चौथी बार राष्ट्रपति का पद संभालने के महज 2 हफ्ते के अंदर पीएम मोदी को अनौपचारिक मुलाकात का न्योता दिया था. वहीं पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर मॉस्को में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहते हैं, ‘यह बेहद अलग किस्म की मुलाकात होगी. आम तौर पर हम सालाना द्विपक्षीय मुलाकात करते हैं, जहां आप कई तरह के समझौते करते हैं और साझा बयान जारी करते हैं, लेकिन इस एक दिन की यात्रा में दोनों नेता बस आपसी मेलजोल बढ़ाएंगे और दोनों देशों के लिहाज से अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे |
कूटनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक रूस और चीन के साथ पीएम मोदी की इस तरह की अनौपचारिक बातचीत का मकसद बिना किसी ताम-झाम के शीर्ष स्तर पर सीधे संवाद से है. मसलन डोकलाम के बाद भारत और चीन के बीच रिश्तों में तल्खी के साथ अविश्वास बढ़ा. इसलिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद पीएम मोदी ने वहां तत्काल दौरा कर अपने ‘मित्र’ को बधाई दी और अनौपचारिक बातचीत के जरिये सीमा विवाद जैसे कई मुद्दों पर सीधे चीनी राष्ट्रपति से बातचीत की, उसका असर यह हुआ कि सीमा पर किसी भी प्रकार की गलतफहमी या संकट से निपटने के लिए कई बेहतरीन उपायों का ऐलान किया गया |
भारत और रूस के शीर्ष नेतृत्व की तमाम कोशिशों के बावजूद दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों में मतभेद बढ़ रहे हैं. इसकी वजह वैश्विक वातावरण में हो रहे संरचनात्मक बदलाव हैं. रूस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह दक्षिण एशिया में अमेरिकी नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों को हावी न होने दे. दूसरी तरफ पश्चिमी जगत वैश्विक राजनीति में रूस को सबसे विनाशकारी ताकत मानता है |