यूपी मदरसा एक्ट रद्द करने के फैसले पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने कहा , 17 लाख छात्रों पर असर पड़ेगा !

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क


उत्तर प्रदेश मदरसा एजुकेशन एक्ट को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी हैं। सुरिम कोर्ट ने कहा – इलाहबाद हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कि मदरसा बोर्ड कि स्थापना धर्मनिरपेक्षता यानी सेक्युलरिज्म के सिद्धांतो का उललंघन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 22 मार्च के आदेश को चुनौती देने वाली अपीलों पर नोटिस जारी किया हैं सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही मदरसा बोर्ड के 17 लाख छात्रों और 10 हजार अध्यापको को अन्य स्कूलों में व्यवस्थित कराने कि प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी हैं।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण कि अगुवाई वाली तीन जजों कि बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा हैं। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी इस बेंच में शमिल थे। इसके साथ व्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को औपचारिक एजुकेशन सिस्टम में दाखिला दे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विधार्थी कि खड़पीठ ने अंशुमान सिंह राठौर कि रिट याचिका पर पारित किया गया था।

यूपी में 16 मदरसे – बता दे कि यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं जिनमे कुल 13.57 लाख छात्र हैं कुल मदरसों में 560 अनुदिनत मदरसे हैं। जहां 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मदरसा अजीजिया इजाजुतुल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी कि तरफ से हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा संचालको को बड़ी राहत दी हैं। बता दे कि मदरसों कि फंडिंग का सवाल भी समय -समय पर उठता रहा हैं।