रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
- अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स वायरस का कहर लगातार जारी है।
- हालांकि अब स्वीडन में भी इसका खतरनाक स्ट्रेन सामने आया है।
- इस स्ट्रेन की वजह से कांगो में अब तक के 548 लोगों की मौत हो चुकी है।
दुनिया कुछ समय पहले कोविड -19 वायरस के खतरे से बाहर निकली ही थी। कि अब एक और वायरस ने चिंता बढ़ा दी है। इस वायरस का नाम है एमपॉक्स मंकीपॉक्स है। हु ने ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। स्वास्थ्य इमरजेंसी ने इस ग्रेट 3 इमरजेंसी के रूप में वर्गीकृत किया है। जिसका अर्थ है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। वही जनवरी 2023 से अब तक के २७ ,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और लगभग एक 1100 मोटे दर्ज की गई।
पूरी दुनिया में इस वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। मध्य और पूर्वी अफ्रीकी से शुरू हुआ यह संक्रमण अब भारत के करीब तक पहुंच गया है। पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन मामले पाए गए हैं। जानकारी के मुताबिक पहला मामला सऊदी अरब से वापस आए का शख्स में पाया गया है। 34 साल का शख्स 3 अगस्त की सऊदी अरब से पाकिस्तान लौटा था।
सबसे पहले कब मिला यह वायरस इससे पहले हु ने बीते बुधवार को डीआरसी और पड़ोसी देशों में इस बीमारी के प्रकोप की देखते हुए इसे एक पब्लिक हेल्थ एमरजैंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न घोषित किया। इस बीमारी को पहले मंकी पॉक्स कहा जाता था और यह वायरस पहली बार साल 1970 में मनुष्यों में पाया गया था।
मंकी पॉक्स क्या है
एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है जो आर्थ्रोपॉक्स वायरस से जीनस की एक प्रजाति है एमपॉक्स का पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था इस वायरस की पहचान वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में की थी। जब बंदरों में पॉक्स जैसी बीमारी का प्रकोप हुआ था। एमपॉक्स वायरस के इस परिवार से संबंधित है जिसमें चेचक होता है।
क्या है एमपॉक्स और इसके लक्षण
यह एक संक्रामक बीमारी है जो संक्रमित जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है लेकिन यह निकट शारीरिक संपर्क के जरिए भी इंसानों से इंसानों में भी फैल सकता है। बात करें इसके लक्षणों की तो इस बीमारी के कारण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द और त्वचा पर बड़े फफोले जैसे घाव हो जाते हैं।
कैसे खत्म होता है संक्रमण
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेशन सीडीसी के मुताबिक वायरस के संक्रमण में आने के 21 दिन बाद तक लक्षण सामने आ सकते हैं वही यह 14 से 21 दिन तक रहता है इसके बाद या खुद ही ठीक हो जाता है।