रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
देश और आईएसआरओ के लिए बड़ी खबर आई है। पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने चंद्रयान-4 का मिशन को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि ये मिशन 36 महीने में पूरा हो जाएगा इस मिशन के लिए सरकार ने 2104.06. करोड रुपए का फंड दिया है। इसमें चंद्रयान -4 स्पेसक्राफ्ट IVM-3 के दो रॉकेट और चंद्रयान-4 से लगातार संपर्क बनाए रखने के लिए स्पेस नेटवर्क और डिजाइन वेरिफिकेशन शामिल है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ओर से इस मिशन के बारे में ताजा अपडेट जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि… चंद्रयान-4 कैसे काम करेगा। इसमें यह भी बताया गया है। कि… चंद्रयान -3 तीन में सिर्फ तीन मॉड्यूल थे जबकि चंद्रयान-4 में 5 मॉड्यूल होंगे। जो सॉफ्ट लैंडिंग से सैंपल इकट्ठा करने और सेफ रिटर्न तक बारी – बारी से काम आएंगे। पिछले दिनों इसरो चीफ एस सोमनाथ ने भी मिशन के बारे में जानकारी साझा की थी। इस मिशन को अंजाम तक पहुंचने में भारत को 4 साल लग सकते हैं। हालांकि.. इसरो जिस तेजी से कम कर रहा है। उससे ये नियत समय से पहले ही पूरा हो सकता है। अब इसरो ने चंद्रयान-4 के बारे में सोशल मीडिया पोस्ट एक्स पर एक मिशन के बारे में ताजा जानकारी दी है। इसमें मॉड्यूल उनके इंजन और उनकी खासियत के बारे में बताया गया है।
चंद्रयान – 4 में होंगे 5 मॉड्यूल
- प्रोपल्शन मॉड्यूल – चंद्रयान-3 की तरह प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग होने से पहले चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-4 का मार्गदर्शन करेगा।
- डिसेन्डर मॉड्यूल – यहां मॉड्यूल चंद्रयान – 3 के विक्रम लैंडर ही तरह ही चंद्रमा पर लैंडिंग करेगा।
- एसेंडर माड्यूल – एक बार नमूने एकंत्र हो जाने के बाद एसेंडर मॉड्यूल और लैंडर से बाहर निकल जाएगा और पृथ्वी पर लौटना शुरू कर देगा।
- ट्रांसफर मॉड्यूल – यह एसेंडर मॉड्यूल को चंद्रमा की कक्षा से बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार होगा। चट्टान और मिट्टी के नमूनों के साथ कैप्सूल के अलग होने से पहले यह पृथ्वी की ओर वापस आएगा।
- री – एंट्री माड्यूल – यह कैप्सूल चंद्रमा का चट्टान और मिट्टी के नमूनों के साथ पृथ्वी पर उतरेगा जबकि चंद्रयान -३ तीन में तीन मुख्य घटक थे। लैंडर , रोवर और प्रोपल्शन माड्यूल।
चंद्रयान – 4 मिशन का मुख्य उद्देश्य –
इसरो की चंद्रमा तक की इस यात्रा और वापसी का उद्देश्य चंद्रमा की सतह से चट्टान के नमूने और अन्य नमूने प्राप्त करना है। उन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसके अलावा चंद्रयान -4 परमिशन का मुख्य उद्देश्य है।
- इसरो का लक्ष्य चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना
- चंद्र नमूना कंटेनरी कारण
- चंद्रमा की सतह से चढ़ना
- चंद्र कक्षा में डॉकिंग और अनडॉकिंग
- नामुनि को एक मॉड्यूल से दूसरे में स्थानांतरित करना
पृथ्वी पर वापसी और पुनः प्रवेश करना क्यों ख़ास हैं मिशन चंद्रयान – 4
सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया कि चंद्रयान- 4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने वर्ष 2040 तक नियोजित और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए मूलभूत तकनीक को हासिल करेगा। सरकार ने कहा कि डॉकिंग और अनडॉकिंग लैंडिंग , पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक मुख्य प्रमुख तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
ऐसी होगी लॉन्चिंग से रिटर्न तक की प्रक्रिया-
चंद्रयान – 4 का मिशन जापान की जेएएक्सए के साथ इसरो का संयुक्त मिशन हैं। ऐसे में इसे जापान के H3 रॉकेट से लांच किया जा सकता है। यह अपने साथ पांच मॉड्यूल लेकर आएगा । सबसे खास बात यह है कि यह मिशन दो चरणों में लॉन्च होगा। पहले इस धरती से लांच किया जाएगा। जो चांद पर लैंडिंग कर वहां से वहां चट्टानों के नमूने इकट्ठे करेगा और फिर उसके बाद चांद की सतह से काफी इसकी दोबारा लॉन्चिंग होगी। जो धरती पर री -एंट्री करेगी। पहली बार लॉन्चिंग के वक्त चंद्रयान 5200 किग्रा होगा। जबकि चांद से जब धरती की ओर लॉन्च होगा तब इसका वजन 1527 किलो रखा जाएगा । ताकि यह आसानी से धरती के आर्बिट में दाखिल हो सके।
2035 में बन जाएगा भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन –
उन्होंने बताया था कि चंद्रयान-4 का रिव्यू लागत डिटेल स्टडी हो चुकी है। सरकार के पास अप्रूवल के लिए भेजा हैं। यह सरकार और इसरो के विजन 2047 का हिस्सा है। इसरो इस प्रयास में है कि 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बस) बना लो। 2040 तक भारतीयों को चंद्रमा भेज सके। वह भी अपनी तकनीक और क्षमता से।
पांच हिस्सों को जोड़कर बनेगा भारतीय इस स्पेस स्टेशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को कई टुकड़ों में लॉन्च करके अंतरिक्ष से ही जोड़ा जाएगा। इसका पहला हिस्सा lvm3 रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। उम्मीद है कि इसकी पहली लॉन्चिंग 2028 में होगी इसके लिए अलग से प्रपोजल तैयार किया जा रहा है। जिसे सरकार के पास अप्रूवल के लिए भेजेंगे। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पांच अलग-अलग हिस्सों को जोड़कर बनाया जाएगा। जिस पर हमारे वैज्ञानिक कम कर रहे हैं।