बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला , बोला …अधिकारी जज नहीं बन सकते

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर नाराजगी जाहिर की कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी परिवार के लिए घर सपना की तरह होता है। किसी का घर उसकी अंतिम सुरक्षा होती है। मकान मालिक को डाक से नोटिस भेजा जाए गलत तरीके से घर तोड़ने पर मुआवजा मिले बुलडोजर एक्शन पर पक्षपात नहीं हो सकता …

उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड ,गुजरात समेत देश के कई राज्यों में बुलडोजर क्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि किसी भी परिवार के लिए अपना घर सपना होता है और सालों की मेहनत से बनता है इसलिए किसी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता कि वह किसी मामले में आरोपी या फिर दोषी है। बेंच ने कहा कि… प्रशासन जज नहीं बन सकता और सिर्फ इसलिए किसी की प्रॉपर्टी नहीं ढाई जा सकती कि संबंधित व्यक्ति आरोपीय दोषी है जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कवि विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि बदला
लेने के लिए बुलडोजर एक्शन नहीं हो सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि , इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार दिया जा सकता है । जस्टिस गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है। हिंदी के मशहूर कवि प्रदीप ने इस तरह से कहा घर सुरक्षा परिवार की सामूहिक उम्मीद है क्या कार्यपालिका को किसी आरोपी व्यक्ति के परिवार की सुरक्षा छिनी की अनुमति दी जा सकती है यह हमारे सामने एक सवाल है। कोर्ट ने कहा कि मामले का दायरा सीमित है। मुद्दा यह है कि क्या किसी अपराध के आरोपी या दोषी होने पर संपत्ति को ध्वस्त किया जा सकता है। एक घर केवल एक संपत्ति नहीं बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है।

अधिकारियों को जवाब देही के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए –
कोर्ट ने यहां भी कहा कि उसने शक्ति के विभाजन पर विचार किया है यह समझा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने-अपने कार्य क्षेत्र में कैसे काम करती है। न्यायिक कार्यों को न्यायपालिका को सोपा गया और न्यायपालिका की जगह पर कार्यपालिका को यह काम नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर केवल इस वजह से तोड़ती है कि वह रूपी है तो यह शक्ति के विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि जो सरकारी अधिकारी कानून को अपने हाथ में लेकर इस तरह के अत्याचार करते हैं उन्हें जवाब देही के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

किसी विध्यंस से 15 दिन पहले जारी होना चाहिए नोटिस –
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी संपत्ति का विध्वंस तब तक नहीं किया जा सकता जब तक उसके मालिक को 15 दिन पहले नोटिस ना दिया जाए कोर्ट ने कहा कि यहां नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक के जरिए से भेजा जाएगा और इस निर्माण की बाहरी दीवार पर भी चिपकाए जाएगा। नोटिस में अवैध निर्माण की प्रकृति उल्लंघन का विवरण और विध्वंस के कारण बताए जाएंगे इसके अलावा विध्वंस की प्रक्रिया को वीडियोग्राफी भी की जाएगी और अगर निर्देशों का उल्लंघन होता है। तो यह क्रोध की अब मानना मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि आम नागरिक के लिए अपने घर का निर्माण कई वर्षों की मेहनत सपना और आकांक्षाओं का निर्माण होता है। घर सुरक्षा और भविष्य की एक सामूहिक आशा का प्रतीक है और अगर इसे छीन लिया जाता है तो अधिकारियों को यह साबित करना होगा कि यह कदम उठाने का उनके पास एक मात्र विकल्प था।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगाने या उसे दोषी ठहराए जाने के आधार पर उसके घरों और दुकानों को बुलडोजर से तोड़ने का कोई आधार नहीं है। हम एक धर्म निरपेक्ष देश है जो हम तय करते हैं वह सभी नागरिकों के लिए करते हैं। किसी एक धर्म के लिए नहीं अलग कानून नहीं हो सकता उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी समुदाय के सदस्य के अवैध निर्माण को हटाया जाना चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म या विश्वास का हो।

क्या हो सकता है क्या नहीं –
– सिर्फ इसलिए घर नहीं गिराया जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है। राज्य आरोपीय दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता।
– बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है।
– निष्पक्ष सुनवाई के बिना किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
– कानून के शासन कानूनी व्यवस्था में निष्पक्षता पर विचार करना होगा।
– कानून का शासन मनमानी विवेक की अनुमति नहीं देता चुनिंदा डिमोलिशन से सत्ता के दुरुपयोग का सवाल उठता है।
– आरोपी और यहां तक कि दोषियों को भी अपराधी कानून में सुरक्षा दी गई। कानून के शासन को खत्म नहीं होने दिया जा सकता।
– संवैधानिक लोकतंत्र में नागरिक अधिकारों और आजादी की सुरक्षा जरूरी है।
– अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है। कि उस पर किसी – अपराध का रूप है तो यह संविधान का कानून का उल्लंघन है।
– आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है।
– घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजा जाए और संरचना के बाहर चिपकाए जाएगा नोटिस से 15 दोनों का वक्त नोटिस शामिल होने के बाद।
– सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए इन निर्देशों का पालन न करने पर अब मानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ दोस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदाई ठहराया जाएगा।