दिल्ली शराब नीति में 2026 करोड़ का नुकसान… CAG की रिपोर्ट

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
CAG की रिपोर्ट में शराब घोटाले से दिल्ली को 2000 करोड़ का नुकसान हुआ है वही आप सांसद अजय सिंह ने बीजेपी पर पलटवार किया और पूछा कैग रिपोर्ट कहां है ….

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के बीच कथित शराब घोटाला बड़ा मुद्दा बन गया है भारत के नियंत्रक एवं महालेखा निरीक्षक कैग रिपोर्ट का हवाला देकर भाजपा ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को घेरा है बीजेपी का दावा की शराब नीति घोटाले से दिल्ली को दो हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ दावा किया कि कई आप नेताओं को रिश्वत मिली वहीं इस मामले पर आप ने पलटवार किया। राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पूछा कैग रिपोर्ट कहा है यह दावे कहां से आ रहे हैं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं शराब घोटाले से सरकारी खजाने को दो हजार करोड रुपए का नुकसान हुआ। बीजेपी का कहना है कि पॉलिसी लागू करने में चूक हुई आप नेताओं को रिश्वत भी मिली है यह पहली बार जब शराब घोटाले से नुकसान का आंकड़ा सामने आया।

वही अनुराग ठाकुर ने कहा आम आदमी पार्टी ने कहा था पाठशाला बनाएंगे लेकिन मधुशाला बनी ,यहां लोग झाड़ू की बात करते थे लेकिन झाड़ू से दारू पर आ गई , यहां लोग स्वराज की बात करते थे लेकिन शराब पर आए , इनकी 10 सालों की यात्रा घोटाले और आप के ‘पाप’ की है। दिल्ली में 2026 करोड़ का राजकोषीय घाटा अरविंद केजरीवाल ने किया अनुराग ठाकुर ने कहा अगर आप नीतियां इतनी अच्छी थी तो उसे वापस क्यों ले लिया गया। आज आप के पास दिल्ली की टूटी सड़के ,घरों में गंदा पानी ,बढ़ाते बिजली बिल ,कूड़े के पहाड़ और प्रदूषण का कोई जवाब नहीं है। दिल्ली आपदा से मुक्त होना चाहती है।

उन्होंने कहा वह आदमी जो कहता था कि बड़ा घर गाड़ी सिक्योरिटी गार्ड नहीं लूंगा आज उसने बाद घर नहीं शीश महल बनाया , बड़ी गाड़ी नहीं सबसे बड़ी गाड़ी ले ली। एक जगह नहीं दो राज्यों की सिक्योरिटी ली है। एक घोटाला नहीं कई घोटाले किये है। आपका पाप जिसके नेतृत्व में हुआ वह अरविंद केजरीवाल है।

नहीं ली गई मंजूरी –
भाजपा सूत्रों का दावा है की रिपोर्ट में कहा गया कि एक इकाई ने घाटा दिखाया फिर भी लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया। लाइसेंस जारी करने में उल्लंघन किया गया इसके अलावा नियमों को दरकिनार करने वालों को दंडित नहीं किया गया। मूल्य निर्धारण में भी पारदर्शिता का भाव रहा कई प्रमुख फसलों पर कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं ली गई।