रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को सदन में इकोनॉमिक्स सर्वे पेश किया इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत के विकास दर अगले वित्तीय वर्ष में 6.3 से 6.8 प्रतिशत रह सकती है मौजूदा वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.4% रह सकती है …
कल्याणी 1 फरवरी को देश का आगामी बजट पेश होने वाला जिसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सरकार के काम करने का बजट पेश करेंगे। इस बजट में कई खास चालान हो सकते हैं टेकपेयर्स से लेकर किसान ,माहिलाये और युवाओं के लिए बजट में गिफ्ट मिल सकते हैं वहीं बजट पेश होने से ठीक 1 दिन पहले आज यानी 31 जनवरी को देश को इकोनामिक सर्वे 2024 25 पेश किया गया है।
इकोनामिक सर्वे 2024 – 25 को वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में पेश किया। इस सर्वेक्षण में FY26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया। जीएसटी कलेक्शन में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है जो 10.62 लाख करोड रुपए तक पहुंच सकता है।
जीएसटी कलेक्शन में 11 फ़ीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाकर जो 10.62 लाख करोड रुपए तक पहुंच सकता है। यह सर्वे नीतिगत सुधारो और आर्थिक स्थिरिता की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित करता है। सरकार का अनुमान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ के 6.5% अनुमान के करीब है लेकिन विश्व बैंक के 6.7 प्रतिशत अनुमान से कम है। सर्वे में यह भी कहा गया कि देश को 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए 8% की ग्रोथ जरूरी है –
यह दस्तावेज अर्थव्यवस्था की अल्पाविधि से मध्यम अवधि की संभावनाओं को सामने लाता है आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार की देख रेख में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाव की ओर से तैयार किया जाता है पहले आर्थिक सर्वेक्षण 1950 – 51 में अस्तित्व में आया था। जब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा हिस्सा हुआ करता था।
आर्थिक समीक्षा 2024 -25 के अहम बिंदु –
- भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.3 से 6.8% की दर से बढ़ने का अनुमान।
- मजबूत ब्रह्ना खाता और स्थिर निजी खपत के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत।
- ऊंचे सार्वजनिक व्यय और बेहतर होती कारोबारी उम्मीद से निवेश गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद।
- वित्त वर्ष 2025 – 26 के लिए भारत की आर्थिक संभावनाएं संतुलित है।
- राजनीतिक और व्यापार अनिश्चितताएं वृद्धि के मार्ग की प्रमुख बाधाएँ।
- चालू वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति के नरम पढ़ने की संभावना।
- सब्जियों की कीमतों में गिरावट खरीफ फसलों की आवक से मिलेगी मदद।
- वित्त वर्ष 2025 -26 में जिसकी ऊंची कीमतों से मुद्रास्फीति का जोखिम सीमित लगता है भू राजनीतिक दबाव अब भी जोखिम उत्पन्न कर रहा है।
- भारत को जमीनी स्तर से संरचनात्मक सुधारो नियमन को शिथिल करते हुए अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बेहतर करने की जरूरत।
- एआई के लिए उचित प्रशासन ढांचे की कमी से प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग होने की आशंका।