अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी है रिलायंस कैपिटल

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
जिसकी संपत्ति चार लाख करोड़ की हो जो चार लाख करोड़ का मालिक हो क्या वह यह कह सकता है कि मुझे अपना घर चलाने के लिए घर के गहने बेचने पड़े। ऐसा हुआ है और यह शख्स कोई और नहीं …

देश के सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को लेकर बड़ी खबर आई है अब इसके बिकने का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है और इस महीने के अंत तक इसके नए मालिक मिल जाएगा। दरअसल , राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण एनसीएलटी ने सोमवार को कर्ज में डूबी इस कंपनी का अधिग्रहण करने के आईआईएचएल अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

हिंदूजा ग्रुप होगा नया मलिक –
इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड के 26 फरवरी तक रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण करने का रास्ता अब साफ हो गया यह बता दे की हिंदूजा ग्रुप की कंपनी है जो लंबे समय से अनिल अम्बानी की इस कंपनी की बिक्री को लेकर झद्दोजहद जारी थी। अब इस मामले से जुड़े सभी विवाद खुलकर बाहर आने लगे और 360 वन जैसे उधार देने वाली कंपनियों की चिंता को भी सुलझा दिया गया।

4300 करोड रुपए है तैयार –
हिंदूजा ग्रुप की कंपनी आईआईएचएल ने आश्वासन दिया है कि वह रिलायंस कैपिटल के लीडर्स के लिए समाधान योजना वैल्यू के कुल 9,861 करोड रुपए के भुगतान को जरूरी शेष ४,300 करोड रुपए की राशि तैयार है। बता दे कि , अगस्त 2024 में आईआईएचएल ने पहले ही 2,750 करोड रुपए जमा कराए थे और बाकी के 3,000 करोड रुपए एक्स्रो खाते में रखे थे जो की कुल राशि 58.93% होता है।

4 साल पहले भंग हुआ था बोर्ड –
रिलायंस कैपिटल पर 40,000 करोड रुपए से अधिक का कर्ज था और चार आवेदकों ने शुरू में समाधान योजनाओं के साथ बोली लगाई थी। लेकिन कर्जदारों की समिति ने कम बोली मूल्य के लिए इन सभी योजनाओं को खारिज कर दिया और तभी से इस क्रम में लगातार देरी हो रही थी।

2023 में ह ने जीती थी बोली –
रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिल अंबानी की कंपनी को लेकर एक अहम बैठक होने वाली है मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा फाइनेंसिंग के लिए दस्तावेजों को पूरा करने और निर्धारित की गई क्लोजर तारीख तक पैसों की निवासी को लेकर चर्चा हो सकती है यहां बता दे कि अप्रैल 2023 में दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी ) की कॉर्पोरेट दिवाला द्वारा समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी ) के तहत आईआईएचएल रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए 9 ,650 करोड रुपए की बोली जीती थी।