सच की हत्या या भारत के चौथे स्तंभ की हत्या

क्या हम सिर्फ भारत के चौथा स्तम्भ सिर्फ लिखने और बोलने के लिए बने हे। हमारे प्रिय भाई राघवेन्द्र माफ़ करना हम आपको सुरक्षित नही कर पाए पर अपकी ये क़ुरबानी व्यर्थ नही जायेगी …
तरुण अवस्थी (ब्यूरो चीफ)
रीडर टाइम्स न्यूज़


   सीतापुर / आज हमारा ही एक माध्यम वर्ग का पत्रकार भाई हम सबके बीच नही रहा जो अपने मध्यम वर्ग के परिवार का मुखिया था, उसका कसूर इतना था कि उसने कुछ घोटाले कर रहे लोगों के खिलाफ लिखना शुरू कर दिया था। उसने यह संकल्प लिया था कि अब वह यह घोटाला बंद करा के ही बैठेगा पर उसे नही पता था कि उसका यह संकल्प इतना भयंकर होगा कि उसे अपने पीछे रोते हुवे अपने माँ बाप, पत्नी और बच्चों को छोड़ कर चला जाना पड़ेगा। हत्यारों ने एक राघवेन्द्र को नही मारा ब्लकि राघवेन्द्र ने अपनी जान गावा के लोगों मे लाखों राघवेन्द्र को जन्म दे दिया। अब हत्यारे कितने और पत्रकारों की हत्या करेंगे उनके पास कितनी गोलियां है जो सच बोलने वाले और सच लिखने वाले पत्रकारों की हत्या करेंगे बहुत दुःख और बहुत चिंता का विषय है। हत्या जैसी घटना अगर घटेगी, तो सच का साथ देने वाले सौ मे से सिर्फ एक आधे ही रहेंगे चंद पैसों के लिए यहा किसी की जान की कीमत कोई नही. कीमत हैं तो सिर्फ कागज के कुछ नोट की। पुलिस पूरी ताकत झोंक देगी और 1 हफ्ते मे अपराधियों को पकड़ लेगी पर क्या भारत सरकार एसा कोई कानून नही बनायेगा जिससे हमारा एक पत्रकार भाई बंधु बिना किसी डर अपनी सच की कलम से गलत करने वालों के खिलाफ लिखे। क्या हम सिर्फ भारत के चौथा स्तम्भ सिर्फ लिखने और बोलने के लिए बने हे।