नवादा के दृष्टितबाधित युवक रविराज यूपीएससी में हासिल किया 182वी रैंक

रीडर टाइम्स डेस्क
किसान पिता के बेटे रवि ने पहले बीपीएससी में राजस्व अधिकारी के पद पर चयनित होकर जिला टॉपर स्था
न प्राप्त किया …

बिहार के नवादा जिले के एक छोटे से गांव महुली के रहने वाले रविराज ने वो कर दिखाया जिससे आज सभी को उसपर गर्व हो रहा हैं दृष्टितबाधित होने के बावजूद रविराज ने संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित परीक्षा में ऑल इण्डिया १८२वी रैंक हासिल कर पुरे देश में नवादा का नाम रौशन कर दिया हैं।

रवि ने चौथे प्रयास में यह अफलता हासिल की रवि ने बताया की अपनी शुरूआती की शिक्षा दयाल पब्लिक स्कूल से की रवि ने कहा घर पर रहकर ही यूपीएससी की तैयारी की वे रोजाना 8 से 10 घंटे की कड़ी म्हणत करते थे उनकी इस उपलब्धि से पुरे गांव और पंचायत में ख़ुशी का माहौल हैं।

माँ बनी रविराज की आँखे –
रविराज किसान रंजन कुमार सिन्हा और विभा सिन्हा के बेटे हैं पर इस सफलता की कहानी केवल एक चतर की नहीं बल्कि एक मां बेटी की अटूट साझेदारी और संघर्ष की कहानी रविराज अपनी आंखों से देखा नहीं सकते लेकिन उनकी आंखें बनी उनकी मां पढ़ने लिखने समझना हर कदम पर मां ने उनके साथ दिया। विभा सिन्हा ने घर के सारे कामों के साथ-साथ रवि को किताबें पढ़कर सुनाया और जरूरत पड़ी तब खुद से लिखकर रवि की तैयारी को गति दी।

रवि बोलते थे माँ लिखती थी –
रवि कहते हैं कि मेरी सफलता में मेरी मां की बराबर की भागीदारी उन्होंने अपना जीवन एक विद्यार्थी की तरह जिया था कि मैं कुछ कर सकूं रवि ने यूपीएससी की पढ़ाई के लिए यूट्यूब का सहारा लिया था उन्होंने बताया कि जब माँ रसोई में होती थी तो यूट्यूब पर ऑडियो चला कर रवि उसे सुनते और फिर पढ़ाई की बातें मन को बोलते और माँ कागज पर लिखती थी।

बीपीएससी भी क्लियर कर चुके हैं रविराज –
इससे पहले रवि ने 69 बीपीएससी परीक्षा में भी 490 रैंक प्रताप की और उन्हें रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर नियुक्ति मिली थी लेकिन उन्होंने उसे छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी जारी रखें रवि की सफलता पर नवादा के जिला अधिकारी रवि प्रकाश ने व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की और व्यक्तिगत रूप से मिठाई और पुष्पगुच्छ भेट कर उज्जवल भविष्य की शुभकामना दी तह उपलब्धि केवल रविराज की नहीं पूरे जिले की हैं रवि जैसे प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोस्त्साहित करना प्रशासन की प्राथमिकता हैं। डीएम ने विभा सिन्हा की भी प्रशंसा करते हुए कहा ऐसी माँ को सलाम जिन्होंने बेटे के सपनो को अपनी आखो में जगह दी हैं और उन्हें साकार कर दिखाया रवि राज नवादा ही नहीं पूरे देश के लिए एक प्रेणास्त्रोत हैं। जिन्होंने दिखा दिया की कठिनाई कितनी भी हो अगर माँ का साथ हो और हौसला बुलंद हो तो कोई मंजिल दूर नहीं।