अरुंधति रॉय ने मोदी और ट्रम्प को तुलना करते हुए मोदी सरकार पर साधा निशाना

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दुनिया भर में अपनी लेखनी से नाम कमा चुकी कर पुरस्कार से सम्मानित भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय ने एक दिए गए इंटरव्यू में मोदी सरकार को निशाने पर लिया है| अरुंधति रॉय ने एक सवाल के जवाब में कहा मोदी सरकार में जो घटनाये घटित हो रही हैं वो बेहद डराने वाली हैं| उन्होंने कहा कि अगर भारत में आज के हालात देखें तो मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग किया जा रहा है| लोगो को सड़को पर घेर कर मारा जा रहा है | इतना ही नहीं मुस्लमानो को आर्थिक गतिविधियों से भी अलग किया जा रहा है| इससे पहले ये भी अपनी जीविका के लिए इन आर्थिक गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल होते थे| उन्होंने कहा की मांस का कारोबार चमड़े के काम और हथकरघा उद्योग सब पर हमले किए गए हैं|

The author of 'The God of Small Things' Arundhati Roy. She has her upcoming book 'The Ministry of Utmost Happiness ' . It is the most anticipated book of 2017. It comes 20 years after Arundhati Roy's Booker prize winning debut 'The God of Small Things' (1997) on Monday. Express Photo by Neeraj Priyadarshi. 22.05.2017.

 

अरुंधति ने यहाँ तक कह डाला की भारत में हिंसा भी कुरुरता की सारी हदें पर कर चुकी है| कश्मीर में एक नाबालिग के साथ बलत्कार होता है| ऐसा नहीं है के पहले रेप नहीं हुए | लेकिन इस बार हजारो लोगो ने बलात्कार के अभियुक्त के समर्थन में रैली निकाली| यहाँ तक महिलाये भी इस रैली में शामिल हुई| ऐसा करके बलात्कार की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई| लामबंदी भयानक तरीक़े से की जा रही है|”

आप ये कहना चाहती हैं कि मोदी ट्रंप से भी ख़राब हैं या दूसरे राष्ट्रवादी नेताओं से भी? अरुंधति ने सवाल के जवाब देते हुए कहा की ट्रम्प अनियंत्रित है लेकिन अमरीका के सभी इंस्टिट्यूशन उनसे सहमत नहीं हैं और उनसे ग़ुस्सा है इतना ही नहीं मिडिया भी गुस्सा है न्यायपालिका सहमत नहीं है| आर्मी भी समर्थन नहीं कर रही है और वहां के लोग ट्रंप को व्यवस्थित करने की कोशिश कर रहे हैं|

वही दूसरी ओर भारत में सभी प्रमुख इंस्टिट्यूशन को धता बताया जा रहा है स्कूल की टेक्स्टबुक के कवर पर हिटलर को दुनिया के महान नेताओं के साथ रखा जा रहा है| जिसके लिए चार जजों को मिडिया के सामने आना पड़ा, ऐसा आज तक भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ| इन जजों ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और कहा कि लोकतंत्र ख़तरे में है. जजों ने अदालती कार्यवाही की निष्पक्षता पर सवाल उठाया