अलविदा अलविदा या शहरों रमजान
Jun 15, 2018
रिपोर्ट : नफीस अहमद ,रीडर टाइम्स
बिलग्राम (हरदोई ) : रमजान उल मुबारक की आखिरी जुम्मा को अलविदा कहते हैं . अलविदा के माएने बिछडने के होते है . यानी जो मुबारक महीना हमारे बीच मे था वो अब जा रहा है . जानकारी देते हुए अंजुमन गुलामान ए रसूल के अध्यक्ष वाजिद हुसैन ने बताया कि जब ईमाम मस्जिद के मेंबर पर खड़े होकर अलविदा अलविदा या शहर रमजान पढ़ता है तो रोजेदारो की आंखों से आंसू जारी हो जाते हैं . जिसका मतलब साफ होता है कि यह मुबारक महीना अब हमसे जुदा हो रहा है और यह बरकत वाला महीना अब हमारे बीच में जब आएगा पता नहीं हम हुए या ना हुए . यह सोच कर रोजेदार गमगीन हो जाते हैं . इसी क्रम में खान काहे सुगरविया बडी सरकार में अलविदा की नमाज हजरत मौलान सैयद उवैस मुसतफा वास्ती कादरी ” काजी ए शरअ ” जिला हरदोई ने अदा कराई . खान काहे नसीरिया मे सज्जादा नशीन, हजरत सैयद अफसर अली नसीरी ने, छोटे दायरे मे हाफिज अनवार इसके अलावा राजो वाली मस्जिद नूरी मस्जिद खाजा पीर आदि मस्जिदों में नमाज के बाद मुल्क में अमनो आमान की दुआए मागी.