पूरे देश भर में हो रहे गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा हिंसा को रोकने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। मंगलवार (17 जुलाई) को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा है| कि 4 सप्ताह के भीतर मॉब लिन्चिंग पर दिशा-निर्देश जारी करें| कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर कोई भी शख्स कानून को हाथ में नहीं ले सकता है| साथ ही कहा कि भीड़ की हिंसा में शिकार पीड़ितों को मुआवजा मिले। कोर्ट ने कहा कि 20 अगस्त को हालात की समीक्षा की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि संसद को ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसमें सजा का प्रावधान हो। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगस्त में अलगी सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है इसलिए इससे गंभीरता से निपटना होगा। कोर्ट ने कहा कि भीड़ द्वारा हिंसा को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार और राज्य की पुलिस की है|
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। जिसपर आज सुनवाई हुई है। इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकार लगायी थी। कोर्ट ने कहा था कि गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को राज्य सरकारों को रोकना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा था कि ये सिर्फ कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि ये एक अपराध है| और कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि कोई भी शख्स को कानून को हाथ में ले इसे बर्दाश्त नहीं जाएगा| साथ ही यह भी खा कि इस मामले में दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए|
याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिह ने कहा कि भारत में अपराधियों के लिए गोरक्षा के नाम पर हत्या करना गर्व की बात बन गई है| उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है और उन्हें जीवन की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रही है| उन्होंने कहा कि सरकारें इस तरह के अपराध करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने में भी विफल रही हैं| इसलिए वक्त की मांग है कि इस बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए जाएं|
तिरिक्त सॉलीसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा कि केंद्र इन मामलों पर नजर बनाए हुए है और इन पर लगाम लगाने की भी कोशिशें कर रहा है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने की है। वहीं पीठ ने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी राज्यों की है।