चीन के पश्चिमी इलाके में एक और मुस्लिम बहुल इलाका शिनजियांग है, जहां सरकार ने सख्त ऐक्शन लिया है। चीन की सरकार का कहना है कि यहां धार्मिक कट्टरपंथ और अलगाववाद बढ़ रहा है। यहां के उइगुर समुदाय पहले से आरोप लगाते रहे हैं कि उन्हें धर्मग्रंथ रखने और दाढ़ी बढ़ाने की भी छूट नहीं है और उन्हें फिर से एजुकेशन कैंप्स में भेजा जा रहा है।
चीन में बहुत कम संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग है और शिंजियांग प्रांत में जो भी उईगर समुदाय के मुस्लिम बहुसंख्यक है, उनके खिलाफ पहले से ही चीनी अथॉरिटी कई चीजों को लेकर दायरा उनका सीमित कर चुकी है। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, नास्तिक सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के राज में अब चीन में मुस्लिम बच्चों को धर्म और इस्लामिक शिक्षा से दूर रहने की हिदायत दी गई है।
शिंजियांग के बाद पश्चिमी चीन के गांसू प्रांत में ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग है, जहां मस्जिद और प्रार्थना में सबसे ज्यादा विश्वास करने वाली आबादी है। गांसू प्रांत के मुस्लिम लोग सहमे हुए हैं, क्योंकि चीनी अथॉरिटी अब शिंजियांग की तरह का कानून यहां भी लागू करने जा रही ही।
अधिकारियों ने मस्जिद के संचालकों को राष्ट्रीय झंडा लगाने और नमाज के समय लाउडस्पीकर की आवाज को सीमित करने का फरमान जारी किया है, जिससे ध्वनि प्रदूषण न हो। पास की एक काउंटी में तो सभी 355 मस्जिदों से लाउडस्पीकर्स को पूरी तरह से हटा दिया गया है। इमाम ने आगे कहा, ‘वे इस्लाम को जड़ से खत्म कर मुसलमानों को धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहते हैं। इन दिनों बच्चों को धर्म में विश्वास करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है, केवल कम्युनिजम और पार्टी में भरोसा रखने पर जोर है।’
वहां के स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले 1000 से ज्यादा लड़के मस्जिद में धार्मिक अध्ययन के लिए गर्मी और सर्दी की छुट्टियों में आते थे लेकिन अब उन्हें परिसर में घुसने से रोक दिया गया है। यहां की कक्षाओं में सऊदी अरब की अरबी की किताबें भरी पड़ी हैं लेकिन 16 साल से ज्यादा उम्र के अब केवल 20 बच्चे ही आधिकारिक तौर पर इनका इस्तेमाल कर सकते हैं।
सरकार ने अभिभावकों को साफ कह दिया है कि धार्मिक अध्ययन पर बैन उनके बच्चों के हित में है और इसकी बजाए सेक्युलर कोर्सबुक पर फोकस किया जा रहा है। हालांकि ज्यादातर लोग परेशान हैं। 45 साल की केयरटेकर मा लान भावुक होकर कहती हैं, ‘हम काफी डरे हुए हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो एक या दो पीढ़ी के बाद हमारी परंपराएं और रीति-रिवाज खत्म हो जाएंगे।’