मंगल पांडे का जीवन परिचय
पूरा नाम – मंगल दिवाकर पांडे
जन्म – 19 जुलाई 1827
जन्मस्थान – उत्तर प्रदेश, भारत
पिता – दिवाकर पांडे
माता – अभैरानी
क्रांतकारी मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई सन 1827 को फ़ैजाबाद जिले के नागवा बलिया गांव में हुआ था| इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे और माता का नाम अभय रानी था|मंगल पांडे बहुत ही साधारण परिवार के थे| उनकी वाणी में अवधि भाषा की मिठास थी| वे अपने माता-पिता का बहुत आदर व सम्मान करते थे| जन्म से ही हिंदु धर्म पर उनका बहोत विश्वास था उनके अनुसार हिंदु धर्म श्रेष्ट धर्म था| 1849 में पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्मी में शामिल हुए | कहा जाता है कि किसी ब्रिगेड के द्वारा उनकी आर्मी में भर्ती की गयी थी| 34 बंगाल थलसेना की कंपनी में उन्हें 6ठी कंपनी में शामिल किया गया | मंगल पांडे का ध्येय बहुत ऊँचा था वे भविष्य में एक बड़ी सफलता हासिल करना चाहते थे|
ईस्ट इंडिया कंपनी की रियासत व राज हड़प और फिर इशाई मिस्नरियों द्वारा धर्मान्तर आदि की नीति ने लोगों के मन में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति पहले ही नफरत पैदा कर दी थी और जब कंपनी की सेना की बंगाल इकाई में ‘एनफील्ड पी.53’ राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ तो मामला और बिगड़ गया|इन कारतूसों को बंदूक में डालने से पहले मुंह से खोलना पड़ता था और भारतीय सैनिकों के बीच ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों को बनाने में गाय तथा सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है|उनके मन में ये बात घर कर गयी कि अंग्रेज हिन्दुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने पर अमादा हैं क्योंकि ये हिन्दू और मुसलमानों दोनों के लिए नापाक था|
भारत के लोगों में अंग्रेजी हुकुमत के प्रति विभिन्न कारणों से घृणा बढ़ती जा रही थी और मंगल पांडे के विद्रोह ने एक चिन्गारी का कार्य किया|मंगल द्वारा विद्रोह के ठीक एक महीने बाद ही 10 मई सन् 1857 को मेरठ की सैनिक छावनी में भी बगावत हो गयी और यह विद्रोह देखते-देखते पूरे उत्तरी भारत में फैल गया|इस बगावत और मंगल पांडे की शहादत की खबर फैलते ही अंग्रेजों के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष भड़क उठा|यद्यपि अंग्रेज इस विद्रोह को दबाने में सफल हो गए लेकिन मंगल द्वारा 1857 में बोया गया क्रांति का बीज 90 साल बाद आजादी के वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया|इस विद्रोह में सैनिकों समेत अपदस्थ राजा-रजवाड़े, किसान और मजदूर भी शामिल हुए और अंग्रेजी हुकुमत को करारा झटका दिया|इस विद्रोह ने अंग्रेजों को स्पष्ट संदेश दे दिया कि अब भारत पर राज्य करना उतना आसान नहीं है जितना वे समझ रहे थे|
1850 के मध्य में उन्हें बैरकपुर (बैरकपुर) की रक्षा टुकड़ी में तैनात किया गया|तभी भारत में एक नयी रायफल का निर्माण किया गया और मंगल पांडे चर्बी युक्त हथियारों पर रोक लगाना चाहते थे|ये अफवाह फ़ैल गयी थी की लोग हथियारों को चिकना बनाने के लिए गाय या सूअर के मॉस का उपयोग करते है, जिससे हिंदु और मुस्लिम में फुट पड़ने लगी थी|इतिहास में 29 मार्च 1857 से सम्बंधित कई दस्तावेज है|लोग ऐसा मानने लगे थे की ब्रिटिश हिन्दुओ और मुस्लिमो का धर्म भ्रष्ट करने में लगे हुए है|मंगल पांडे ने इसका बहोत विरोध किया और इसके खिलाफ वे ब्रिटिश अधिकारियो के विरुद्ध उठ खड़े हुए|एक दिन जब नए कारतूस थल सेना को बाटे गये थे तब मंगल पांडे ने उसे लेने से इंकार कर दिया|इसके परिणामस्वरूप उनके हथियार छीन लिए जाने व वर्दी उतार लेने का हुक्म हुआ|मंगल पांडे ने ब्रिटिशो के इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया और उनकी रायफल छिनने के लिए आगे बढे अंग्रेज अफसर पर उन्होंने आक्रमण कर दिया|
मंगल पांडे एक ऐसे भारतीय सैनिक थे जिन्होंने 29 मार्च 1857 को ब्रिटिश अधिकारियो पर हमला किया था|उस समय यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय ने ब्रिटिश अधिकारी पर हमला किया था|हमले के कुछ समय बाद ही उन्हें फ़ासी की सजा सुनाई गयी और कुछ दिन बाद उन्हें फांसी दे दी गयी, लेकिन फांसी देने के बाद भी ब्रिटिश अधिकारी उनके पार्थिव शरीर के पास जाने से भी डर रहे थे|जैसा की आप सभी जानते है भारत में मंगल पांडे एक महान क्रांतिकारी के नाम से जाने जाते है|जिन्होंने ब्रिटिश कानून का विरोध किया|भारत सरकार द्वारा 1984 में उनके नाम के साथ ही उनके फोटो का एक स्टेम्प भी जारी किया|वे पहले स्वतंत्रता क्रांतिकारी थे जिन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश कानून का विरोध किया था|मंगल पांडे चर्बी युक्त कारतूसो के खिलाफ थे|वे भली-भांति जानते थे की ब्रिटिश अधिकारी, हिंदु सैनिको और ब्रिटिश सैनिको में भेदभाव करते थे|इन सब से ही परेशान होकर उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियो से लढने का बीड़ा उठाया|उन्होंने आज़ादी की लड़ाई की चिंगारी भारत में लगाई थी जिसने बाद में एक भयंकर रूप धारण कर लिया था और अंत में भारतीयों से हारकर अंग्रेजो को भारत छोड़ना ही पड़ा|
मृत्यु
फ़ौजी अदालत ने न्याय का नाटक रचा और फैसला सुना दिया गया| 8 अप्रैल का दिन मंगल पांडे की फाँसी के लिए निश्चित किया गया|बैरकपुर के जल्लादों ने मंगल पांडे के पवित्र ख़ून से अपने हाथ रँगने से इनकार कर दिया| तब कलकत्ता से जल्लाद बुलाए गए|8 अप्रैल 1857 के सूर्य ने उदित होकर मंगल पांडे के बलिदान का समाचार संसार में प्रसारित कर दिया| भारत एक वीर पुत्र ने आज़ादी के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी|वीर मंगल पांडे के पवित्र प्राण-हव्य को पाकर स्वातंत्र्य यज्ञ की लपटें भड़क उठीं|क्रांति की ये लपलपाती हुई लपटें फिरंगियों को लील जाने के लिए चारों ओर फैलने लगीं | इतने बहादुर और निडर स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे जी हमेशा सभी की जुबान पर बने रहेगे और सदियों तक आपको याद किया जाता रहेगा |