Home Breaking News अलवर मॉब लिंचिंग: पुलिस ने पीड़ित रकबर को अस्पताल पहुंचने के बजाए, पहले गायों को गौशाला पहुंचाया, फिर ले गए थाने
अलवर मॉब लिंचिंग: पुलिस ने पीड़ित रकबर को अस्पताल पहुंचने के बजाए, पहले गायों को गौशाला पहुंचाया, फिर ले गए थाने
Jul 23, 2018
मॉब लिंचिंग के बढ़ते मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सख़्त क़ानून बनाने के निर्देश के चार दिन बाद ही राजस्थान के अलवर ज़िले में कथित गोरक्षकों ने हरियाणा के अकबर ख़ान उर्फ रकबर की पीट-पीटकर हत्या कर दी| इस मामले में अब तक तीन लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है| भीड़ की हिंसा दिनों दिन डरा रही है और अगर इस हिंसा में पुलिस की लापरवाही भी शामिल हो जाए तो ये और ख़तरनाक हो जाती है|
अलवर में गो तस्करी के शक में एक शख़्स की पिटाई से मौत के मामले में राज्य पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे हैं| आरोप है कि पुलिस ने रकबर को अस्पताल पहुंचाने की जगह बरामद गायों को पहले गौशाला पहुंचाने को तरजीह दी| इतना ही नहीं पुलिस ने खुद भी रकबर की पिटाई की| इसकी वजह से रकबर को अस्पताल पहुंचाने में तीन घंटे की देरी हुई और उसकी मौत हो गई|
आईजी के मुताबिक, इस पहलू की भी जांच की जाएगी कि आख़िर पुलिस ने रकबर को अस्पताल ले जाने में इतनी देर क्यों कर दी? दरअसल शुक्रवार और शनिवार की रात गो तस्करी के शक में रकबर और असलम की भीड़ ने पिटाई कर दी थी| असलम भाग निकला, लेकिन रकबर पिटता रहा| पुलिस मौक़े पर पहुंची, लेकिन रकबर को अस्पताल ले जाने की जगह ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां-वहां घुमाती रही, फिर बाद में थाने ले गई|
घायल रकबर लगातार कहता रहा कि वो दर्द में है लेकिन पुलिस उसे तुरंत अस्पताल न ले जाकर पहले गाय के लिए गाड़ी का इंतज़ाम करने में लगी रही| यही नहीं रास्ते में गाड़ी रोक कर चाय पी और फिर अस्पताल ले जाने की जगह थाने ले गई| जब पुलिस रकबर को लेकर अस्पताल पहुंची तब तक उसकी मौत हो चुकी थी| इस बीच पुलिस थाने में रकबर के साथ क्या हुआ इस पर पर्दा अभी भी नहीं उठा है, लेकिन अब आरोप लग रहा है कि थाने में जो हुआ उसकी वजह से रकबर की जान गई|
पहले खुद बीजेपी विधायक ने कहा था कि हमारे कार्यकर्ताओं ने थोड़ी-बहुत पिटाई की थी| उसके बाद पुलिस ने अकबर ख़ान को तीन घंटे तक थाने में रखकर उसके साथ मारपीट की, जिससे उसकी मौत हो गई| उन्होंने ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘लोगों ने मौके पर अकबर ख़ान से ज़्यादा मारपीट नहीं की| कुछ लोगों ने दो-चार थप्पड़-घूंसे ज़रूर मारे\ सूचना पर पहुंची पुलिस उसे सही-सलामत वहां से लाई थी| थाने में उसकी पिटाई हुई, जिससे उसकी मौत हुई| पुलिस घायल रकबर को सीधे अस्पताल भी नहीं ले गई, बल्कि ढाई घंटे से ज़्यादा समय तक यहां वहां घुमाती रही, थाने ले गई| वो अस्पताल तब पहुंचा जब उसकी मौत हो चुकी थी|
अस्पताल के डाॅक्टर का कहना है कि पुलिस घायल को तीन बजे के बाद अस्पताल लेकर आई थी| पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि घटनास्थल से 6 किमी| की दूर अस्पताल तक पहुंचने में उसे 4 घंटे कैसे लग गए| एसपी राजेंन्द्र सिंह ने कहा कि पुलिस की अगर लापरवाही सामने आती है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी |
गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि पुलिस की कोई गलती नही है. मामला बढ़ता देख अलवर पुलिस से जांच लेकर जयपुर एसपी क्राइम एवं विजिलेंस को दे दी गई है| मॉब लिंचिंग के बाद गंभीर रूप से घायल रकबर खान को घटना से 6 किमी दूर रामगढ़ में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में 6 घंटे लग गए| अखबार के अनुसार, ऐसा लगता है कि रकबर को बचाने से ज्यादा गायों को बचाना पुलिस की प्राथमिकता थी, क्योंकि 10 किमी दूर स्थित गौशाला तक गायों को, रकबर को अस्पताल पहुंचाने से एक घंटे पहले ही पहुंचा दिया गया|