नई दिल्ली:-जुलाई में संसद की प्राक्कलन समिति ने पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम से बढ़ते एनपीए संकट पर जवाब मांगा था. जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि भारतीय रिजर्व बैंक पूर्व गवर्नर रघुराम राजन इस बारे में बेहतर जानते हैं | रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बैंकों के अधिक नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स (NPA) के लिए बैंकर्स और आर्थिक मंदी के साथ फैसले लेने में UPA-NDA सरकार की सुस्ती को भी जिम्मेदार बताया है।
रघुराम राजन ने संसदीय समिति को दिए जवाब में कहा कि सबसे अधिक बैड लोन 2006-2008 के बीच दिया गया। गौरतलब है कि NPA समस्या पर सरकार और विपक्ष में जंग छिड़ी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NPA के लिए UPA सरकार को जिम्मेदार बताया तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
बीजेपी के वरिष्ठ सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होकर एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा था | अपने जवाब में राजन ने कहा है कि बैंकों द्वारा बड़े कर्जों पर यथोचित कार्रवाई नहीं की गई और 2006 के बाद विकास की गति धीमी पड़ जाने के बाद बैंकों की वृद्धि का जो आकलन था वो अवास्तविक हो गया |
इससे पहले पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए संकट को पहचानने और इसका हल निकालने का प्रयास करने के लिए समिति के सामने राजन की प्रशंसा की थी | सुब्रमण्यम ने समिति को बताया था कि एनपीए की समस्या को सही तरीके से पहचानने का श्रेय पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को जाता है और उनसे बेहतर यह कोई नहीं जानता कि आखिर देश में एनपीए की समस्या कैसे इतनी गंभीर हो गई |
इसके अलावा सुब्रमण्यम ने यह दावा किया था कि अपने कार्यकाल के दौरान राजन ने इस समस्या को हल करने की महत्वपूर्ण पहल की थी | जिसके बाद जोशी ने राजन को पत्र लिखकर समिति के सामने उपस्थित होने और उसके सदस्यों को देश में बढ़ते एनपीए के मुद्दे पर जानकारी देने को कहा |