आज के युग में एक ओर इंसान तरक्की के नए आयाम स्थापित करने में लगा हुआ है तो दूसरी ओर ईधन समाप्ति की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है । कल जब ईधन समाप्त हो जायेगा तब जीवन और तरक्की की रफ़्तार सन्नाटे के सडक़ पर दम तोड़ते नजऱ आएगी । ऐसे में प्राकृतिक ऊर्जा जैसे कि सौर्य ऊर्जा एक बड़े विकल्प के रूप इंसान के लिए वरदान साबित हो रही है । आइये आपका तार्रुफ़ कराते है एक ऐसी शख्सियत से जिन्होंने वैकल्पिक प्राकृतिक ऊर्जा के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के यूपीनेडा को एक नयी दिशा प्रदान करी है। वैसे ये किसी परिचय कि मोहताज़ नहीं है ।अपने 20 साल से ज़्यादा के कार्यकाल में संगीता सिंह ने कई सरकारी पदों पे रहकर समाज के लिए काम किया है और मौजूद समय में यूपीनेडा में निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। प्रदेश सरकार की सौर्य ऊर्जा और अन्य वैकल्पिक ऊर्जा कि कई परियोजनाओं की रूप रेखा तैयार करने का श्रेय इन्ही को जाता है। प्रस्तुत है उनसे पूछे गए कुछ सवाल और उनके जवाब:
प्र. आपने शिक्षा कहाँ से पूर्ण करी और सरकारी सेवाओं में कैसे आयीं ?
उ. मैंने शिक्षा इलाहबाद से पूर्ण करी,पोलिटिकल साइंस से एम.ए करने के बाद 1994 में पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर प्रशासनिक सेवाओं में आयी ।
प्र. यूपीनेडा में कार्यभार सँभालने के बाद प्रदेश सरकार की किन किन योजनाओं पर काम किया ?
उ. कार्यभार सँभालने के बाद कई योजनाओं पर काम किया जिनमे से मुख्य रूप से योजनाओं इस प्रकार हैं –
* ग्रिड संयोजित सौर पावर योजना
* ग्रिड संयोजित रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट
* डी.डी.जी कार्यक्रम
* सोलर होम लाइट कार्यक्रम
* लोहिया ग्रामीण आवासों में सोलर पावर पैक की स्थापना का कार्यक्रम
* सार्वजनिक पथ प्रदर्शक व्यवस्था हेतु सोलर हाईमास्ट संयंत्र के अधिष्ठापन का कार्य
* प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में आर.ओ.वाटर संयंत्र की सुविधा
* सोलर स्टीम कुकिंग संयंत्र
* मिनी ग्रिड कार्यक्रम
* सोलर लैंटर्न कार्यक्रम
अन्य भी कई योजनाएं चल रही है जिनका विवरण वेबसाइट से लिया जा सकता है ।
प्र. जमीन खरीदते वक्त जैसे रजिस्ट्री अनिवार्य होती है वैसे ही निजी सौर्य ऊर्जा संयंत्र लगाना अनिवार्य क्यों नही होता ?
उ. सरकार ने सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के लिए क्षेत्रफल के आधार पर नियम गठित किये है जिसके अंतर्गत आने वाले संस्थानों को सौर्य ऊर्जा संयंत्र लगाना अनिवार्य है। नीति के अनुसार सरकारी/सार्वजनिक संस्थानों द्वारा आवश्यक रूप से अपने कार्यालय भवन के उपलब्ध कुर्सी क्षेत्रफल के न्यूनतम २५ प्रतिशत क्षेत्रफल का उपयोग रूफटाप सोलर पावर प्लांट की स्थापना के लिए किया जाएगा। आने वाले समय में इसे निजी मकानों के लिए जरूरत अनुसार अनिवार्य किया जाएगा।
प्र. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली एक बहुत बडी समस्या है इसके लिए आप क्या प्रयास कर रही है।?
उ. लोहिया ग्रामीण आवासों में यूपी नेडा द्वारा १२० वाट क्षमता के सोलर पावर संयंत्रों की स्थापना का कार्य किया जा रहा है जिसमें प्रत्येक आवास में ३ वाट की २ ल्यूमेनियर, ५ वाट का एक ल्यूमेनियर, २५ वॉट का डीसी सीलिंग फैंग, मोबाइल चार्जिंग प्वाइंट प्रदान किया जा रहा है जो प्रतिदिन ८ घंटों तक उक्त उपकरणोंं को संचालित करने में सक्षम होगा तथा संयंत्र में २ दिन का बैकअप पृथक से होगा।संयंत्र की ५ वर्ष तक काम्प्रेटैन्सिव वारंटी का कार्य आपूर्तिकर्ता फर्म द्वारा किया जाता है तथा वर्ममान में संयंत्र का मूल्य २६२००/- है।
प्र. आपने अभी प्राथमिक विद्यालयों में आर.ओ.वाटर संयंत्र की बात कही, थोड़ा विस्तार से बताइए?
उ. उत्तर-प्रदेश में लगभग, १,४१,००० प्राथमिक विद्यालय हैं जिसमें ९५ प्रतिशत से अधिक विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है। प्राथमिक विद्यालयों में ६-१४ वर्ष तक के बच्चे अध्ययनशील हैं। ग्रामीण क्षेत्र में विद्यालयों में विद्युत व्यवस्था नही होने के कारण वहां पर स्वच्छ शौचालय तथा खान-पान की व्यवस्था नही हो पाती है फलस्वरूप गंदगी तथा पानी की अशुद्धता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन प्राथमिक विद्यालयों में सोलर फोटोवोल्टाईक संयंत्रों के माध्यम से स्वच्छ जल के साथ-साथ गर्मी के दिनों में छात्रों को पंखे की सुविधा उपलब्ध कराई जाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री की पहल से अभिकरण द्वारा सोलर आर.ओ. वाटर प्लाण्ट की परियोजना चलाई जा रही है। इस परियोजना के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालयों पर १.१ किलोवाट के सोलर पावर प्लाण्ट स्थापित कराकर उससे ०५ पंखे ०१ डी.सी. सबमर्सिबल पम्प तथा ५० लीटर प्रति घंटा का एक आर.ओ. वाटर संयंत्र संचालित कराया जाता है। सोलर पैनल १.१ किलोवाट, पंखा ०५ (०१प्रधानाध्यापक तथा 0४ अन्य कक्षों के लिये ), आर.ओ. वाटर-0१ (१00 लीटर स्टोरेज के साथ)२00-२५0 लीटर प्रतिदिन, वाटर पम्प 01 (डीसी सबमर्सिबल)तथा ओवर हैड टैंक-1000 लीटर्स 02 नं.(फुडग्र्रेड की टंकी) की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इस प्रकार से स्थापित संयंत्र का उपयोग बच्चों के स्वच्छ पेयजल के साथ-साथ जल का उपयोग विद्यालय में मध्यान्ह भोजन बनाने, बर्तन धोने तथा बागवानी हेतु भी किया जाता है। बच्चों के कक्षों में स्थापित पंखा बच्चों तथा अध्यापकों हेतु गर्मी में सुगमतापूर्वक पठन-पाठन में सहायक सिद्ध हुआ।
एक सयंत्र की अनुमानित लागत-२७0000/- है। संयंत्र की स्थापना 05 वर्ष की वारण्टी, रखरखाव के साथ की जाती है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है तथा भारत सरकार द्वारा इसे २०१५-१६के बेस्ट इन्नोवेशन कार्य के रूप में चिन्हित करते हुये ्रक्रश्व्रस् द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
प्र. गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट के रख-रखाव की क्या व्यवस्था है?
उ. वैसे वो सोलर स्ट्रीट लाइट ५ साल की वारंटी के साथ आता है लेकिन यदि उस दौरान कोई शिकायत आती है या सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी कोई समस्या देखता है तो तत्काल पूर्तिफर्म द्वारा उस समस्या के निस्तारण के लिए आदेश दिये जाते है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि समाधान जल्द से जल्द हो।
प्र. अखिलेश सरकार में काम करते हुये कितने वर्क प्रेशर से आपको गुजरना पड़ता है?
उ. इस सरकार में काम करने में पूर्ण रूप से स्वतंत्र महसूस करती हूं। किसी का भी कार्य में नाजायज दखल नहीं है और किसी भी सकारात्मक निर्णय को लेने में स्वतंत्र हूं।
प्र. पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में कैसे तालमेल बिठाती है?
उ. मैं एक जिम्मेदार अधिकारी के साथ-साथ जिम्मेदार गृहणी हूं। कोशिश रहती है कि परिवार को पूरा समय दे सकूं। इसमें मेरे पति मेरा पूरा सहयोग देते है।
प्र. खान-पान में क्या पसंद है?
उ. मैं पूर्ण रूप से शुद्ध शाकाहारी हूं।
प्र. फिल्में देखती हैं। कैसी फिल्में पसंद है? पसंदीदा अभिनेता, अभिनेत्री कौन है ?
उ. फिल्में देखना पसंद है। कुछ अलग सब्जेक्ट वाली फिल्में देखती हूं जैसे कि तारे जमीनपर, पीकू, ३ ईडियट्स, वगैरा। पसंदीदा अभिनेता- देवानंद, पसंदीदा अभिनेत्री- मीना कुमारी।
प्र. सरकार की सौर्य ऊर्जा नीतियों पर कुछ बोलना चाहेगीं?
उ. जो योजनाएं सरकार लाई हैं, वो सभी २०१७ तक पूर्ण हो जाएगी और इस क्षेत्र में पिछली किसी भी सरकार ने न तो इनका ध्यान दिया न काम किया।