प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को इंदौर में दाऊदी बोहरा समुदाय के धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन से मुलाकात की। अपने संबोधन में मोदी ने बोहरा समाज की देशभक्ति की तारीफ करते हुए कहा कि इस समाज से उनका भी अटूट रिश्ता रहा है। बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय के सैयदना 53वें धर्मगुरु हैं। उनके 12 सितंबर से इंदौर में धार्मिक प्रवचन चल रहे हैं। सैयदना पहली बार इंदौर आए हैं, इससे पहले उनका सूरत में आना हुआ था।
सैयदना के पिता अपने जीवनकाल में दो बार इंदौर आए थे। मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पीएम के इस कदम को अहम माना जा रहा है। बोहरा समुदाय मुख्यत: व्यापार करने वाला समुदाय है। ‘बोहरा’ गुजराती शब्द ‘वहौराउ’, अर्थात ‘व्यापार’ का अपभ्रंश है।
मुसलमानों में बोहरा समुदाय और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्ते जगजाहिर हैं | देश का मुसलमान भले ही बीजेपी को वोट न देता हो, लेकिन गुजरात में सीएम रहते हुए मोदी ने जब व्यापारियों के हित के लिए नीतियां बनाई तो बोहरा मुस्लिम उनके साथ जुड़ गए और आज भी साथ हैं |
पीएम मोदी शुक्रवार को इसी दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के 53वें धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के इंदौर में होने वाले वाअज (प्रवचन) में शामिल हुए, बोहरा समाज के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई पीएम उनके धार्मिक कार्यक्रम में शामिल हुआ, इससे बोहरा समुदाय और नरेंद्र मोदी के बीच के रिश्ते को बखूबी समझा जा सकता है |
गुजरात में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 9 फीसदी है | इनमें बोहरा समुदाय महज एक फीसदी है, ये कारोबारी समुदाय है, गुजरात का दाहोद, राजकोट और जामनगर इन्हीं का इलाका माना जाता है | 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बोहरा समुदाय का घर और दुकानें जला दी गई थीं | इसमें उनका काफी नुकसान हुआ था |
गुजरात दंगों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में बोहरा समुदाय ने बीजेपी का विरोध किया था | इसके बावजूद मोदी ने सत्ता में वापसी की. इसके बाद मोदी ने गुजरात में व्यापारियों की सुविधा के हिसाब से नीतियां बनाईं जो बोहरा समुदाय के उनके साथ आने की बड़ी वजह बनीं, नरेंद्र मोदी का बार-बार बोहरा समुदाय के सायदना से मिलना भी इस समुदाय को मोदी और बीजेपी के करीब लाया |
मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं | इंदौर के 4 नंबर सीट पर बोहरा समुदाय की करीब 40 हजार की आबादी है | इसके अलावा दूसरी तीन सीटें ऐसी हैं, जहां 10 से 15 वोट बोहरा समुदाय का है, इसके अलावा उज्जैन की शहर सीट पर बोहरा समुदाय के 22 हजार वोट हैं |
देश में 20 लाख से ज्यादा बोहरा समुदाय के लोग हैं | मुस्लिम मुख्य रूप से दो हिस्सों में बंटा हुआ है | शिया और सुन्नियों के साथ-साथ इस्लाम को मानने वाले 72 फिरकों में बंटे हुए हैं | बोहरा शिया और सुन्नी दोनों होते हैं | सुन्नी बोहराहनफी इस्लामिक कानून को मानते हैं | जबकि दाउदी बोहरा मान्यताओं में शियाओं के करीब और 21 इमामों को मानते हैं |
बोहरा समुदाय सूफियों और मज़ारों पर खास विश्वास रखता है और इस्माइली शिया समुदाय का उप-समुदाय है | यह अपनी प्राचीन परंपराओं से पूरी तरह जुड़ी कौम है, जिनमें सिर्फ अपने ही समाज में ही शादी करना शामिल है | इसके अलावा कई हिंदू प्रथाओं को भी इनके रहन-सहन में देखा जा सकता है |
‘बोहरा’ गुजराती शब्द ‘वहौराउ’ अर्थात ‘व्यापार’ का अपभ्रंश है | ये मुस्ताली मत का हिस्सा हैं जो 11वीं शताब्दी में उत्तरी मिस्र से धर्म प्रचारकों के माध्यम से भारत में आए थे | बोहरा समुदाय 1539 में अपना मुख्यालय यमन से भारत में सिद्धपुर ले आया |
हालांकि 1588 में दाऊद बिन कुतब शाह और सुलेमान के अनुयायियों के बीच विभाजन हो गया | सुलेमानियों के प्रमुख यमन में रहते हैं, जबकि दाऊदी बोहराओं का मुख्यालय मुंबई में है | बोहरा समुदाय के 53वें धर्मगुरु सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन मुंबई में रहते हैं |
दाऊदी बोहरा मुख्यरूप से गुजरात के सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, राजकोट, दाहोद, और महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे व नागपुर, राजस्थान के उदयपुर, भीलवाड़ा और मध्य प्रदेश के उज्जैन, इंदौर, शाजापुर जैसे शहरों और कोलकाता में अच्छी खासी तादाद में रहते हैं |
मोदी का राजनितिक दौरा: बोहरा समाज के 35 हजार लोग इंदौर, साढ़े चार लाख लोग मध्यप्रदेश और 20 लाख देशभर में रहते हैं। इसी साल मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव हैं। इन चुनावों की वजह से प्रधानमंत्री के इस दौरे को परोक्ष रूप से राजनीतिक फायदे और चुनावी कैंपेन से जोड़कर देखा जा रहा है।