उत्तर प्रदेश में बसपा शासनकाल में हुए बहुचर्चित स्मारक घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से विजिलेन्स जांच की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट ने कहा कि घोटाले का कोई दोषी बचना नहीं चाहिए। मामले की अगली सुनवाई कोर्ट ने 27 सितंबर को तय की है। मामला 2007 से 2012 के बीच बसपा सरकार के दौरान नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों के निर्माण में घोटाले के आरोप का है। लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था।
कोर्ट में दाखिल होगी स्टेटस रिपोट :-
बसपा सुप्रीमो मायावती, पूर्व मंत्री नसीरुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मंत्री बाबू राम कुशवाहा व 12 तत्कालीन विधायक हैं आरोपी, 100 से अधिक इंजीनियर और अन्य अधिकारी भी बनाये गए हैं आरोपी, 2014 में सभी को खिलाफ दर्ज हुई थी | एफआईआर, 2007 से 2012 के बीच नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों को निर्माण का है मामला, निर्माण निगम, लोनिवि,नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के इंजीनियर और अधिकारी हैं आरोपी, लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला आया था सामने, याची शशीकान्त उर्फ भावेश पाण्डेय ने दाखिल की है याचिका, चीफ जस्टिस डी बी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ में होगी सुनवाई |
उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मायावती सरकार ने लखनऊ के साथ नोएडा में भी दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इसमें से लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च भी हुए। लोकायुक्त ने अपनी जांच में अनुमान लगाया था कि इसमें से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई।
आरोप है स्मारकों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई , जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। लोकायुक्त ने जांच में जिक्र किया कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह भी है कि भुगतान तय रकम से दस गुने दाम पर ही किया जाता रहा।
अखिलेश यादव सरकार ने जनवरी 2017 में गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इस घोटाले की जांच सतर्कता विभाग कर रहा है। स्मारक घोटाले में आरोप है कि राजस्थान से पत्थर लदे 15 ट्रक रवाना होने के बाद मौके पर सात ट्रक ही पहुंचे। इस तरह आठ ट्रक पत्थर हड़पे गए। इसको लेकर लोकायुक्त ने राजकीय निर्माण विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। इसमें तत्कालीन कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के साथ नसीमुद्दीन तथा कई विधायकों पर घोटाले का आरोप है।